
शिमला। हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने शिमला स्थित सेंट बीड्स कॉलेज के कर्मचारियों की सेवानिवृत्ति आयु 58 वर्ष तय करने से संबंधित 3 नवंबर 2025 की अधिसूचना और 7 नवंबर 2025 के संचार के क्रियान्वयन पर अगली सुनवाई तक रोक लगा दी है। यह आदेश न्यायाधीश विवेक सिंह ठाकुर और न्यायाधीश रोमेश वर्मा की खंडपीठ ने पारित किया। अदालत ने राज्य सरकार सहित सभी प्रतिवादियों को नोटिस जारी करते हुए दो सप्ताह के भीतर जवाब दाखिल करने के निर्देश दिए हैं। मामले की अगली सुनवाई 1 जनवरी 2026 को निर्धारित की गई है।
याचिकाकर्ताओं की ओर से दलील दी गई कि मौजूदा नियमों, अधिसूचनाओं और पूर्व में पारित अदालती आदेशों के अनुसार वे 60 वर्ष की आयु तक सेवा में बने रहने के हकदार हैं। उनका कहना है कि ग्रांट-इन-एड (जीआईए) नियमों के तहत कॉलेज कर्मचारियों को 60 वर्ष की सेवानिवृत्ति आयु तक सरकारी सहायता मिलनी चाहिए। याचिकाकर्ताओं ने 3 नवंबर 2025 की अधिसूचना को चुनौती देते हुए कहा कि इसके जरिए सहायता प्राप्त गैर-सरकारी कॉलेजों के कर्मचारियों के लिए जीआईए की पात्रता को 58 वर्ष तक सीमित कर दिया गया है, जो पूर्व के अदालती फैसलों और मौजूदा नियमों के विपरीत है। उनका तर्क है कि यदि यह अधिसूचना लागू होती है तो उनकी आय में अचानक भारी गिरावट आएगी, जिससे उनका जीवन स्तर प्रभावित होगा।
इसी बीच, एक अन्य मामले में हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने राज्य वन विकास निगम को गिरानी, चरानी और धुलानी पदों को टिंबर और वॉचर में परिवर्तित करने से संबंधित निर्णय का विस्तृत रिकॉर्ड पेश करने का निर्देश दिया है। न्यायाधीश ज्योत्सना रिवॉल दुआ की अदालत ने निगम को आदेश दिया कि वह अपनी सर्विस कमेटी और निदेशक मंडल द्वारा लिए गए फैसलों का पूरा विवरण रिकॉर्ड पर रखे।
अदालत ने निगम को एक सप्ताह के भीतर पूरक हलफनामा दाखिल करने और उसमें सभी प्रासंगिक दस्तावेज संलग्न करने के निर्देश दिए हैं। इसके साथ ही यह भी स्पष्ट करने को कहा गया है कि क्या निगम में वर्तमान में रेजिन, टिंबर और वॉचर आउटसोर्स आधार पर कार्यरत हैं, और क्या किसी अन्य श्रेणी में भी आउटसोर्स नियुक्तियां की जा रही हैं।
मामले की अगली सुनवाई 31 दिसंबर को होगी। अदालत ने यह निर्देश तब दिए, जब निगम की ओर से बताया गया कि पदों के रूपांतरण के बाद अब आउटसोर्स आधार पर टिंबर वॉचर की भर्ती की आवश्यकता नहीं रह गई है। निगम ने 11 दिसंबर को अदालत को अवगत कराया था कि वन कार्य प्रभाग कुल्लू के लिए वर्ष 2022 में आउटसोर्स आधार पर टिंबर वॉचर के 19 पद स्वीकृत किए गए थे, लेकिन आवश्यक दस्तावेज जमा न होने और कार्यभार ग्रहण न किए जाने के कारण ये पद अब तक भरे नहीं जा सके। इसके बाद सर्विस कमेटी और निदेशक मंडल ने निर्णय लिया कि वर्तमान में मौजूद 86 गिरानी, चरानी और धुलानी पदों को टिंबर और वॉचर में परिवर्तित किया जाएगा, जिससे आउटसोर्स भर्ती की आवश्यकता समाप्त हो जाएगी।















