
- जिला गन्ना अधिकारी और सचिव पर निष्क्रियता का आरोप
Gola Gokarannath, Lakhimpur : महराज नगर की बहुचर्चित सहकारी गन्ना विकास समिति लिमिटेड, अरनीखाना की अरबों रुपये मूल्य की संपत्ति के विक्रय का मामला इन दिनों जिले में चर्चा का विषय बना हुआ है। आरोप है कि जिला गन्ना अधिकारी वेद प्रकाश सिंह और समिति के सचिव अच्छे लाल भारती की लापरवाही और निष्क्रियता के चलते यह बहुमूल्य भूमि और भवन विवादित मुकदमे में चंदेल परिवार के पक्ष में चला गया।
इस पूरे मामले को लेकर राष्ट्रीय किसान शक्ति संगठन के प्रदेश अध्यक्ष पटेल श्रीकृष्ण वर्मा ने प्रमुख सचिव, गन्ना एवं चीनी विकास, बीना कुमारी मीणा को पंजीकृत डाक से ज्ञापन भेजा है। ज्ञापन में मामले की जांच सीधे गन्ना आयुक्त से कराए जाने, दोषी अधिकारियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करने, मुकदमे की प्रभावी पैरवी कराने और हजारों किसानों की गन्ना आपूर्ति सुनिश्चित करने की मांग की गई है।
1961 से जुड़ा संपत्ति का इतिहास
ज्ञापन में उल्लेख किया गया है कि सहकारी गन्ना विकास समिति का भवन वर्ष 1961 में खरीदा गया था, जिसका प्रमाण उस पर लगा पत्थर देता है। इस पत्थर पर 06 सितंबर 1961 की तिथि के साथ तत्कालीन जिलाधिकारी मोहिउद्दीन अहमद और जिला गन्ना अधिकारी पदेन कन्हैया सिंह के नाम खुदे हुए हैं। इसके बावजूद, वर्तमान जिला गन्ना अधिकारी वेद प्रकाश सिंह और अन्य संबंधित अधिकारी इस तिथि को भवन के पट्टे की तिथि बता रहे हैं, जिससे मामले को लेकर संदेह और गहराता जा रहा है।
न्यायालय में नहीं दिए गए ठोस साक्ष्य
मामला सिविल जज (जूनियर डिवीजन) लखीमपुर खीरी की अदालत में वाद संख्या 1550/2023 के तहत लंबित था। लेकिन गंभीर आरोप है कि जिला गन्ना अधिकारी और समिति के सचिव की ओर से अदालत में न तो भवन की खरीद से जुड़े बैनामे प्रस्तुत किए गए और न ही वर्ष 1961 के किसी पट्टे या लगान की रसीदें दाखिल की गईं। इससे चंदेल परिवार को लाभ मिला और फैसला उनके पक्ष में चला गया।
नवीनीकृत पट्टा भी संदेह के घेरे में
ज्ञापन में वर्ष 1991 में हुए नवीनीकृत पट्टे पर भी गंभीर प्रश्नचिह्न खड़े किए गए हैं। बताया गया कि यह पट्टा सहकारी समिति के अधिकृत अधिकारी के स्थान पर एक प्रधान लिपिक, लाल बहादुर पुत्र दिलीप सिंह, द्वारा सब-रजिस्ट्रार कार्यालय में कबूल किया गया। एक लिपिक को इस तरह के कार्य की कोई विधिक शक्ति नहीं है, जिससे यह कार्यवाही स्वयं ही संदेह के घेरे में आ गई है।
नगर पालिका में दर्ज समिति का स्वामित्व
एक और महत्वपूर्ण तथ्य यह है कि यह भूमि व भवन नगर पालिका परिषद लखीमपुर में सहकारी गन्ना विकास समिति अरनीखाना के नाम पर दर्ज है और समिति द्वारा इसका गृहकर व जलकर नियमित रूप से अदा किया गया है। बावजूद इसके, न्यायालय में यह तथ्य प्रभावी ढंग से प्रस्तुत नहीं किया गया।
अपील भी औपचारिकता मात्र
जब यह मामला जिलाधिकारी दुर्गा शक्ति नागपाल के संज्ञान में आया, तब उनके निर्देश पर जनपद न्यायाधीश की अदालत में अपील की गई, वह भी लगभग तीन माह की देरी से। लेकिन अपील में भी कोई ठोस साक्ष्य या तर्क नहीं दिए गए, जिससे अपील में सफलता की संभावना क्षीण प्रतीत हो रही है।
उठे कई गंभीर सवाल
प्रदेश अध्यक्ष श्रीकृष्ण वर्मा ने अपने ज्ञापन में कई सवाल उठाए हैं:
- यदि 1961 में पट्टा हुआ था, तो उसकी मूल प्रति या नकल न्यायालय में क्यों नहीं दी गई?
- भूमि खरीद का कोई स्पष्ट बैनामा क्यों नहीं दिखाया गया?
- 1991 में लिपिक द्वारा किया गया पट्टा कबूलनामा वैध कैसे माना जा सकता है?
- मुकदमे में भूमि के क्रय या पट्टे को वाद बिंदु के रूप में क्यों नहीं शामिल किया गया?
किसानों की आपूर्ति पर भी संकट
इस पूरे विवाद से सहकारी समिति से जुड़े हजारों गन्ना किसान परेशान हैं। आगामी गन्ना पेराई सत्र 2025-26 के लिए उनकी गन्ना आपूर्ति संकट में पड़ सकती है। श्रीकृष्ण वर्मा ने चेताया है कि यदि जल्द ही संपत्ति की रक्षा नहीं की गई और दोषियों पर सख्त कार्रवाई नहीं हुई, तो हजारों किसानों की आजीविका पर प्रतिकूल असर पड़ेगा।
पटेल श्रीकृष्ण वर्मा ने प्रमुख सचिव से यह मांग की है कि:
- गन्ना आयुक्त से मामले की उच्चस्तरीय जांच कराई जाए।
- जिम्मेदार अधिकारियों के विरुद्ध कठोरतम कार्यवाही की जाए।
- मुकदमे की सशक्त पैरवी हो।
- समिति की संपत्ति की सुरक्षा सुनिश्चित की जाए।
- आगामी गन्ना सत्र के लिए किसानों की गन्ना आपूर्ति में कोई बाधा न आए।
यह मामला केवल एक भूमि विवाद नहीं, बल्कि जिले के हजारों किसानों के भविष्य से जुड़ा एक गंभीर प्रश्न बन चुका है। शासन को तत्काल संज्ञान लेकर त्वरित और निष्पक्ष कार्रवाई करनी चाहिए।