
ऊधम सिंह नगर : नैनीताल हाईकोर्ट ने उत्तराखंड लोक सेवा आयोग (UKPSC) को उत्तराखंड न्यायिक सेवा (जूनियर डिविजन) (पीसीएस-जे) परीक्षा-2023 की प्रारंभिक परीक्षा का पुनर्मूल्यांकन करने और यूपीएससी रेगुलेशन-2022 के अनुसार नई वरीयता सूची प्रकाशित करने के निर्देश दिए हैं।
सुनवाई के दौरान आयोग के अधिवक्ता ने कहा कि विशेषज्ञ की राय के आधार पर आयोग द्वारा दिए गए उत्तर में त्रुटि थी, इसलिए उम्मीदवार की आपत्ति वैध है। आयोग के सचिव अशोक कुमार पांडे वीडियो कॉन्फ्रेंस के माध्यम से कोर्ट में पेश हुए। न्यायमूर्ति रवींद्र मैठाणी और न्यायमूर्ति आलोक मेहरा की खंडपीठ के समक्ष यह मामला आया।
मामले के अनुसार, परीक्षा के अभ्यर्थी और उत्तर प्रदेश के प्रतापगढ़ निवासी सूर्यांश तिवारी ने हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी। उन्होंने प्रारंभिक परीक्षा के सीरीज ए बुकलेट में शामिल कुछ प्रश्नों को चुनौती दी। याचिकाकर्ता ने कहा कि आयोग ने 31 अगस्त 2025 को पीसीएस-जे की परीक्षा आयोजित की थी, और 31 अक्टूबर को प्रारंभिक परीक्षा का परिणाम जारी किया गया, जिसमें 83 अभ्यर्थियों को सफल घोषित किया गया। उन्होंने दावा किया कि आयोग को मूल्यांकन प्रक्रिया के दौरान उन प्रश्नों को हटा देना चाहिए था, जो प्रतियोगी परीक्षाओं के सिद्धांतों और स्थापित कानून के अनुरूप नहीं थे। उनका कहना था कि किसी उम्मीदवार को परीक्षा आयोजित करने वाली संस्था की गलती या अस्पष्टता के कारण नुकसान नहीं होना चाहिए।
हाईकोर्ट ने सुप्रीम कोर्ट के एक निर्णय का हवाला देते हुए कहा कि अगर उत्तरकुंजी स्पष्ट रूप से गलत हो या किसी प्रश्न के एक से अधिक सही उत्तर हों, तो कोर्ट यह निर्देश दे सकता है कि ऐसे प्रश्नों को मूल्यांकन से बाहर रखा जाए और उसी के अनुसार अंक दिए जाएं, बजाय इसके कि आयोग अपनी खुद की उत्तरकुंजी बदल दे।
याचिका में यह भी कहा गया कि 2022 के रेगुलेशन में स्पष्ट रूप से उल्लेख है कि जहां प्रश्न संरचनात्मक रूप से दोषपूर्ण हों, उन्हें प्रश्नपत्र से हटा दिया जाएगा और बाकी प्रश्नों के अंक आनुपातिक रूप से बढ़ा दिए जाएंगे ताकि कुल अधिकतम अंक अपरिवर्तित रहें।