क्या है करवा चौथ पर कढ़ी के पीछे की कहानियाँ और धार्मिक मान्यता

करवा चौथ एक महत्वपूर्ण भारतीय पर्व है, जिसे विशेष रूप से उत्तर भारत में मनाया जाता है। इस दिन विवाहित महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र और सुख-समृद्धि के लिए उपवास रखती हैं। इस उपवास का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है विशेष भोजन, जिसमें कढ़ी का बनाना एक परंपरा है। कढ़ी बनाने की परंपरा का गहरा नाता भगवान कृष्ण से जुड़ा हुआ है।

कहा जाता है कि कढ़ी एक ऐसा व्यंजन है,जिसे भगवान कृष्ण ने बहुत पसंद किया। जब माता यशोदा ने भगवान कृष्ण के लिए कढ़ी बनाई, तो उन्होंने इसे खुशी-खुशी खाया। इसके बाद से कढ़ी को शुभ और समृद्धि का प्रतीक मान लिया गया। करवा चौथ पर कढ़ी बनाना एक तरीके से इस धार्मिक आस्था का प्रतीक है, जो न केवल भोजन के माध्यम से प्रेम और समर्पण को दर्शाता है, बल्कि एकजुटता और परिवार के साथ समय बिताने का भी महत्व रखता है।

इस दिन महिलाएं अपने पति के लिए खास भोजन तैयार करती हैं, जिसमें कढ़ी, चावल, पूड़ी आदि शामिल होते हैं। ये व्यंजन न केवल स्वादिष्ट होते हैं, बल्कि इस पर्व की खुशियों को भी बढ़ाते हैं। इस प्रकार, कढ़ी का महत्व केवल भोजन तक सीमित नहीं है, बल्कि यह करवा चौथ के उत्सव की आत्मा का भी प्रतिनिधित्व करता है। इस साल करवा चौथ 2024 में 1 नवंबर को मनाया जाएगा।

खबरें और भी हैं...

अपना शहर चुनें