काम की बात : आलस में छुपा डिप्रेशन, इसे नजरअंदाज ना करें…

नई दिल्ली । हाल ही में किए गए शोधों में यह सामने आया है कि डिप्रेशन के लक्षणों में एक बहुत ही सामान्य लेकिन अक्सर नजरअंदाज किया जाने वाला लक्षण है आलस। अक्सर, ऐसे व्यक्ति जो आलसी दिखते हैं या जिनमें उत्साह की कमी होती है, उन्हें समाज में ‘आलसी’ का तमगा दे दिया जाता है, लेकिन इसके पीछे की वास्तविक समस्या डिप्रेशन हो सकती है।

यह लक्षण न केवल शारीरिक बल्कि मानसिक थकावट का भी संकेत हो सकता है, जो व्यक्ति को अपनी दैनिक गतिविधियों से दूर कर देता है। साइकोलॉजिस्ट के अनुसार, डिप्रेशन से पीड़ित व्यक्ति अपनी रोजमर्रा की गतिविधियों में रुचि खो देता है। वे लंबे समय तक सोने की प्रवृत्ति अपनाते हैं और अपनी सामान्य दिनचर्या से कटने लगते हैं। जब किसी व्यक्ति को लगातार आलस महसूस होता है और वह सामान्य कार्य भी करने से बचता है, तो यह उसकी मानसिक स्थिति को लेकर एक चेतावनी हो सकती है। डिप्रेशन केवल मानसिक असंतुलन नहीं, बल्कि शारीरिक समस्याओं का भी कारण बन सकता है। ऐसे में, यदि कोई व्यक्ति अधिक सोने लगे या हमेशा थका हुआ महसूस करे, तो यह उसका मानसिक स्वास्थ्य प्रभावित होने का संकेत हो सकता है। आलस्य और थकावट को डिप्रेशन का हिस्सा मानते हुए, विशेषज्ञों ने सलाह दी है कि इन लक्षणों को हल्के में न लिया जाए।
अगर किसी के व्यवहार में बदलाव देखा जाए या वह सामान्य कार्यों से कतराने लगे, तो उसे यह बताने की बजाय कि वह आलसी है, उसकी मदद करनी चाहिए। डिप्रेशन का समय पर इलाज न केवल मानसिक स्थिति को सुधारने में मदद करता है, बल्कि व्यक्ति को जीवन के अन्य पहलुओं में भी बेहतर महसूस कराता है। इसलिए, यदि किसी को लंबे समय से आलस, थकान या उदासी महसूस हो रही है, तो यह संकेत हो सकता है कि वह डिप्रेशन का शिकार हो सकता है। ऐसे में उन्हें मानसिक स्वास्थ्य विशेषज्ञ से परामर्श लेना चाहिए, ताकि समस्या का सही तरीके से निदान किया जा सके और उचित उपचार मिल सके। आजकल की तेज़-तर्रार जिंदगी में मानसिक समस्याएं बढ़ रही हैं, जिनमें डिप्रेशन एक प्रमुख समस्या बनकर उभरा है।

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