
- महंत के आरोप, प्रशासनिक कार्रवाई पर सवाल, हाईकोर्ट की निगरानी में जांच और हरिद्वार संत समाज का विरोध
हरिद्वार : उत्तर प्रदेश के फिरोज़ाबाद जनपद की शिकोहाबाद तहसील अंतर्गत ग्राम हरिया नगला (राधे क्षेत्र) में यमुना तट पर स्थित पौराणिक स्वामी शांतिदास कदमखंडी आश्रम को लेकर उठे विवाद ने अब राज्यव्यापी स्वरूप ले लिया है। प्रशासनिक कार्रवाई, महंत पर लगाए गए जुर्माने और कथित दुर्व्यवहार के आरोपों के बाद हरिद्वार का संत समाज खुलकर विरोध में आ गया है और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से दोषी अधिकारियों पर तत्काल कार्रवाई की मांग कर रहा है।
हजारों वर्ष पुरानी तपस्थली, कदम वृक्षों की रक्षा का सवाल
कदमखंडी आश्रम को यमुना तट की आध्यात्मिक और पर्यावरणीय धरोहर माना जाता है। आश्रम परिसर और आसपास हजारों की संख्या में मौजूद कदम के वृक्ष सनातन परंपरा और भगवान श्रीकृष्ण से जुड़ी धार्मिक मान्यताओं के प्रतीक हैं। संत समाज का कहना है कि इन वृक्षों का संरक्षण केवल आस्था का विषय नहीं, बल्कि पर्यावरण संतुलन और सनातन संस्कृति की रक्षा से भी जुड़ा हुआ है।
महंत सुरेंद्र भारती के आरोप
आश्रम के मौजूदा महंत सुरेंद्र भारती ने इलाहाबाद हाईकोर्ट में जनहित याचिका दाख़िल कर आरोप लगाया है कि अतिक्रमण हटाने के नाम पर प्रशासन ने केवल काग़ज़ी कार्रवाई की। महंत के अनुसार ज़मीनी स्थिति आज भी जस की तस बनी हुई है, लेकिन इसके बावजूद न्यायालय में अनुपालन रिपोर्ट दाख़िल कर दी गई और आश्रम पर दबाव बनाया गया।
मुख्यमंत्री से आश्वासन, फिर भी प्रशासनिक दुर्व्यवहार का आरोप
महंत का कहना है कि उन्होंने दो बार मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से मुलाकात कर आश्रम की सुरक्षा और कदम वृक्षों के संरक्षण की मांग की थी। मुख्यमंत्री से आश्वासन मिलने के बावजूद, याचिका दाख़िल होने से पहले शिकोहाबाद के एसडीएम और तहसीलदार कीर्ति चौधरी द्वारा उनके साथ दुर्व्यवहार और डराने-धमकाने का प्रयास किया गया। महंत के अनुसार यही घटनाक्रम पूरे विवाद की जड़ बना।
बिजली-पानी काटा गया, साढ़े पाँच लाख का जुर्माना
महंत सुरेंद्र भारती का आरोप है कि प्रशासनिक दबाव के तहत आश्रम की बिजली और पानी की आपूर्ति काट दी गई, साधु-संतों और श्रद्धालुओं को भारी परेशानियों का सामना करना पड़ा और महंत पर साढ़े पाँच लाख रुपये का जुर्माना लगाया गया। संत समाज ने इस कार्रवाई को अमानवीय और सनातन परंपरा के विरुद्ध बताया है।
हाईकोर्ट की निगरानी में हाईटेक जांच
मामले की गंभीरता को देखते हुए इलाहाबाद हाईकोर्ट ने संज्ञान लिया। न्यायालय के आदेश पर फिरोज़ाबाद के डीएम, एसडीएम और शिकोहाबाद तहसीलदार तीन दिनों तक भारी प्रशासनिक अमले के साथ कदमखंडी आश्रम में मौजूद रहे। इस दौरान ड्रोन जैसी हाईटेक तकनीक से निगरानी की गई, प्रत्येक कदम वृक्ष की मॉनिटरिंग हुई और जिला न्यायपालिका के जज की मौजूदगी में विस्तृत रिपोर्ट तैयार की गई।
प्रशासन का पक्ष: आरोप निराधार
इस पूरे मामले पर शिकोहाबाद की तहसीलदार कीर्ति चौधरी ने प्रशासन का पक्ष रखते हुए कहा कि संबंधित भूमि सरकारी है और प्रशासन का दायित्व है कि सरकारी भूमि की रक्षा की जाए। उन्होंने कहा कि महंत द्वारा लगाए गए आरोप निराधार हैं। मामला इलाहाबाद हाईकोर्ट के संज्ञान में है, प्रशासन ने जांच में पूरा सहयोग किया है और अब जो भी निर्णय हाईकोर्ट द्वारा दिया जाएगा, वह प्रशासन को पूर्ण रूप से मान्य होगा।
हरिद्वार संत समाज का खुला विरोध, मुख्यमंत्री से कार्रवाई की मांग
महंत की अपील के बाद हरिद्वार के संत समाज ने एकजुट होकर कदमखंडी आश्रम के समर्थन में आवाज़ बुलंद की है। हरिद्वार से प्रतिक्रिया देते हुए महामंडलेश्वर स्वामी प्रबोधानंद गिरि ने कड़े शब्दों में कहा कि
महात्माओं का अपमान किसी भी सूरत में बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। यदि किसी अधिकारी ने महंत के साथ दुर्व्यवहार किया है तो मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को तत्काल संज्ञान लेकर दोषी अधिकारियों पर कठोर कार्रवाई करनी चाहिए। आश्रम और संत समाज को दबाने की कोई भी कोशिश स्वीकार नहीं होगी।
महामंडलेश्वर ने महंत पर लगाए गए जुर्माने और दबावपूर्ण कार्रवाई को निंदनीय बताते हुए कहा कि संत समाज पूरी तरह एकजुट है और जरूरत पड़ी तो आंदोलनात्मक रुख भी अपनाया जाएगा।
28 अगस्त पर टिकी निगाहें
इलाहाबाद हाईकोर्ट के निर्देश पर 28 अगस्त को होने वाले स्थल निरीक्षण और रिपोर्ट के बाद आगे की न्यायिक कार्रवाई तय होगी। फिलहाल यह मामला केवल एक आश्रम का नहीं, बल्कि संत समाज के सम्मान, पर्यावरण संरक्षण और प्रशासनिक जवाबदेही की बड़ी परीक्षा बन चुका है।















