रोज़ लाखों रुपयों में बेची जा रही अधिकारियों की मौजूदगी, परिवहन की गाड़ी व ऑफिस में बैठे हैं लॉकेशन गैंग के सदस्य!

सत्येंद्र शर्मा

लखनऊ। शहर में मौरंग गिट्टी से भरे ओवरलोड ट्रैकों की आवाजाही के लिए परिवहन अधिकारियों की मौजूदगी रोजाना लाखों रुपयों में बेची जा रही है। इस खेल में यूपी के कई जिलों से नेटवर्क संचालित हो रहा है। इतना सब कुछ होने की बावजूद भी परिवहन अधिकारियों को इस पूरे सिंडिकेट की भनक तक नहीं लग पा रही है।

शहर में गिट्टी मौरंग से भरी हुई गाड़ियां हमीरपुर, बांदा,कानपुर बिठूर,घाटमपुर से राजधारी के जुनैबगंज चेक पोस्ट से होकर गुजरती हैं। हैरान करने वाली बात यह है कि ओवरलोड गाड़ियों को शहर में आसानी से इंट्री मिल जाती है।

काम को अंजाम देने के लिए लोकेशन गैंग से जुड़ा सिंडिकेट प्रदेश भर में अधिकारियों की लोकेशन बेच रहा है। लोकेशन गैंग टीम बनाकर जिले के परिवहन अधिकारियों से भी ज़्यादा एक्टिव होकर 24 घंटे अधिकारियों की मौजूदगी पर नजर बना कर रखता है।

लोकेशन गैंग ओवरलोड गिट्टी,मौरंग से भरी गाड़ियों को लखनऊ चेक पोस्ट पर एंट्री कराते हैं। बाद में शहर में संचालित अवैध मौरंग मंडियों तक पहुंचाने तक गैंग सक्रिय रहता है। जो अधिकारियों के ऑफिस से लेकर और उनके घर तक की लोकेशन की जानकारी रखता है। इस नेक्सस के लोगों ने व्हाट्सएप ग्रुप बना रखे हैं। जिसमें अधिकारियों की लोकेशन सेंड कर दी जाती है। इस ग्रुप में गाड़ी मालिक ड्राइवर और लोकेशन गैंग के सदस्य शामिल होते हैं। लोकेशन गैंग अवैध मौरंग मंडियों तक गाड़ियों को पहुंचवा देता है। जिसके एवज में एक गाड़ी मालिक या चालक से करीब ₹1000 का भुगतान प्रति गाड़ी के हिसाब से रोजाना होता है।

राजधानी में ट्रांसपोर्ट नगर मंडी से लेकर आईआईएम रोड, किसान पथ, शहीद पथ, सुल्तानपुर रोड, अनौरा कला फैजाबाद रोड,सीतापुर रोड, सहित तमाम जगहों पर संचालित मंडियों तक 500 से अधिक ओवरलोड गिट्टी, मौरंग से भरे हुए ट्रक पहुंचते हैं। इस काम को अंजाम देने के लिए रोज़ाना क़रीब पांच लाख रुपए में अधिकारियों की मौजूदगी रोजाना बेची जाती है।

अवैध मौरंग मंडियों में पहले से ग्राहक सेट होते हैं। और आते ही ट्रैक पर बैठकर साथ चले जाते हैं। लखनऊ में यह ट्रक अधिकतर आरसीबी मिक्सचर प्लांट में पहुंचते हैं।

ऐसी गाड़ियों को रोकने के लिए हमारे पास पर्याप्त स्टाफ नहीं है। जिससे हम अभियान चलाकर कोई ठोस कार्रवाई कर सकें इसी के लोकेशन गैंग हम लोगों के पीछे लग जाता है। कार्रवाई करने से पहले हमारी मौजूदगी उन लोगों तक पहुंच जाती है। फिर मौका पाकर रास्ता बदलकर गाड़ियों को निकाल कर ले जाते हैं।

प्रभात पांडे आरटीओ प्रवर्तन लखनऊ

सबसे बड़ा सवाल क्या परिवहन अधिकारियों की मिलीभगत से चलता है लोकेशन गैंग का धंधा अगर यह बात सही नहीं है तो फ़िर आज तक अधिकारियों ने इस गैंग के खिलाफ कोई कानूनी कार्रवाई क्यों?

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