हरिद्वार: अनुभूति गोयल का स्वागत करते संस्था के पदाधिकारी

हरिद्वार। पहले ही प्रयास में पीसीएस जे परीक्षा पास कर जज बनी ज्वालापुर की अनूभूति गोयल का श्री वैश्य बंधु समाज मध्य क्षेत्र हरिद्वार के पदाधिकारियों ने बुके भेंटकर स्वागत किया और शुभकामनाएं दी। श्री वैश्य बंधु समाज मध्य क्षेत्र के मुख्य मार्गदर्शक पराग गुप्ता एवं संस्थापक अशोक अग्रवाल ने अनुभूति गोयल को शुभकामनाएं देते हुए कहा कि वैश्य समाज के युवा विभिन्न क्षेत्रों में सफलता के नए कीर्तिमान गढ़ रहे हैं। पहले ही प्रयास में पीसीएस जे परीक्षा पास कर जज बनी अनुभूति गोयल की सफलता से पूरे वैश्य समाज का मान बढ़ा है। बेटियां बेटों से किसी प्रकार कम नहीं है।

पीसीएस जे परीक्षा में सफलता प्राप्त कर अनुभूति गोयल ने एक बार फिर इसे सिद्ध कर दिया है। उन्होंने कहा कि सभी को बेटियों को शिक्षा और आगे बढ़ने के समान अवसर उपलब्ध कराने चाहिए। संस्था के अध्यक्ष विनीत अग्रवाल व नितिन मंगल ने कहा कि वैश्य समाज के युवा शिक्षा, चिकित्सा, व्यापार, प्रशासनिक सेवा, न्यायिक सेवा सहित सभी क्षेत्रों में उच्च मुकाम हासिल कर देश की प्रगति में योगदान कर रहे हैं। पीसीएस जे परीक्षा में अनुभूति की सफलता से पूरे समाज में हर्ष की लहर है। अनुभूति गोयल की सफलता से अन्य बेटियों को भी प्रेरणा मिलेगी। स्वागत करने वालों में महावीर प्रसाद मित्तल, नीरज तायल, शिवम मेहता, सचिन गोयल, संजय अग्रवाल, राजेंद्र अग्रवाल ब्रजवासी, अरविंद अग्रवाल शामिल रहे।

इनसेट

पीसीसी जे परीक्षा पास कर जज बने हरिद्वार के भक्तोवाली गांव के परितोष हरिद्वार। उत्तराखंड लोक सेवा आयोग द्वारा जारी पीसीएस जे परीक्षा के परिणाम में हरिद्वार जिले के भगतोंवाली गांव निवासी परितोष 15वां स्थान प्राप्त कर जज बन गए हैं। परितोष के जज बनने के बाद उनके परिवार में उत्साह का माहौल है। बेटे के जज बनने की खुशी में उनके पिता ने न सिर्फ ढोल बजवाए बल्कि जमकर डांस भी किया। हरिद्वार रेलवे अस्पताल में चिकित्सक के पद पर तैनात परितोष के भाई के आवास पर आयोजित जश्न में परितोष की मां, पत्नी और भाई भी ढोल की थाप पर थिरकते हुए नजर आए। परितोष ने अपनी इस उपलब्धि श्रेय अपने पिता को दिया है।

परितोष की प्रारंभिक शिक्षा दीक्षा दिल्ली में हुई और दिल्ली यूनिवर्सिटी से एलएलबी करने के बाद परितोष का केनरा बैंक में मैनेजर लॉ के पद पर चयन हो गया। बैंक में नौकरी लगने के बावजूद उन्होंने अपनी तैयारी जारी रखी। परितोष ने इस कामयाबी का श्रेय अपने माता पिता को दिया और बताया कि पीड़ितों को बेहतर न्याय दिलाना ही उनकी प्राथमिकता रहेगी। परितोष के पिता दिल्ली में रेलवे में सीनियर सेक्शन इंजीनियर के पद पर तैनात है।

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