नियमित व्यायाम और सही आहार करता है ग्लूकोमा से बचाव

गाजियाबाद । स्वास्थ्य विभाग की ओर से 10से 16 मार्च तक ग्लूकोमा सप्ताह मनाया गया। इस सप्ताह का आयोजन हर वर्ष लोगों में ग्लूकोमा के प्रति जागरूकता के लिए किया जाता है। मुख्य चिकित्साधिकारी डा. एनके गुप्ता ने बताया कि ग्लूकोमा सप्ताह के दौरान विभाग की ओर से जन सामान्य को ग्लूकोमा के बारे में जानकारी दी गई। उन्होंने कहा कि जागरूकता से मरीज को समय रहते इसका इलाज मिल जाए तो आंखों की रोशनी को बचाया जा सकता है। कई बार इस बीमारी के लक्षण उतने स्पष्ट नहीं होते, लिहाजा इसके लिए जागरूकता बेहद जरूरी है।
संयुक्त जिला अस्पताल के वरिष्ठ परामर्शदाता डा. संजय तेवतिया ने बताया कि ग्लूकोमा को काला मोतियाबिंद भी कहा जाता है। यह रोग आंख में पाए जाने वाले दृव्य‘एक्वा स्यूमर’ के लगातार ज्यादा बनने से प्रेशर बढ़ने या फिर उसमें रूकावट आने के कारण होता है। इसमें‘ओप्टिक नर्व’ सूख जाती है और मरीज को देखने में दिक्कत आने लगती है। दरअसल यही ‘नर्व’ चित्र लेकर दिमाग को भेजती है और दिमाग इसे ग्रहण करता है। ग्लूकोमा के चलते इस ‘नर्व’ पर दबाव पड़ने लगता है,जिसके चलते यह दिमाग को सही चित्र नहीं भेज पाती है और मरीज को देखने में दिक्कत आने लगती है।
डा. तेवितया का कहना है कि यदि समय से ग्लूकोमा का उपचार कराया जाए तो यह पूरी तरह से ठीक हो सकता है। दूसरी ओर उपचार में देर होने पर मरीज अंधा हो सकता है। डा. तेवतिया का कहना है कि ग्लूकोमा के कारण किसी आंख की रोशनी चली जाती है तो उसे वापस नहीं लाया जा सकता। उन्होंने बताया कि संजयनगर स्थित संयुक्त जिला चिकित्सालय में ग्लूकोमा का पूरा उपचार उपलब्ध है, मरीज को बस सही समय पर डाक्टर से संपर्क करने की जरूरत है।
ग्लूकोमा को कैसे पहचानें
डा. संजय तेवतिया ने बताया कि ग्लूकोमा दो प्रकार का होता है। पहला एंगल क्लोजर ग्लूकोमा। इस प्रकार के ग्लूकोमा में मरीज को आंख में दर्द महसूस होता है। आंख लाल हो जाती है। आंख से लगातार पानी बहने लगता है। इसके अलावा रोशनी के स्रोत, जैसे बल्ब की ओर देखने पर घेरे से दिखने लगते हैं। दूसरे, ओपन एंगल ग्लूकोमा के लक्षण उतने स्पष्ट नहीं होते, या फिर लक्षण स्पष्ट होने में काफी देर हो जाती है। डा. तेवतिया कहते हैं कि इसलिए यदि किसी के परिवार में ग्लूकोमा की हिस्ट्री है, ब्लड प्रेशर की दिक्कत है या फिर शुगर है,ऐसे लोगों को 40 साल की उम्र के बाद साल में एक बार डाक्टर से आंखों का परीक्षण कराते रहना चाहिए। उन्होंने बताया कि ग्लूकोमा का पुख्ता उपचार केवल सर्जरी से ही संभव है। इसलिए समय पर इसकी पहचान और अहतियात बहुत जरूरी है। नियमित व्यायाम और सही आहार के जरिए ग्लोकोमा से बचाव हो सकता है।















