भाजपा ने बदला MANREGA का नाम, प्रियंका गांधी समेत कई कांग्रेस नेता बोले- ‘इन्हें गांधी-नेहरू से नफरत…’

MANREGA Name Changed : महात्मा गांधी नेशनल रूरल एम्प्लॉयमेंट गारंटी एक्ट का नाम बदलकर ‘पूज्य बापू ग्रामीण रोजगार योजना’ किए जाने का फैसला सियासी गलियारों में नई बहस छेड़ गया है। इस नाम परिवर्तन को लेकर कांग्रेस सांसद प्रियंका गांधी वाड्रा और वरिष्ठ नेता प्रमोद तिवारी ने केंद्र सरकार की नीयत, प्राथमिकताएं और राजनीतिक सोच पर सवाल खड़े किए हैं।

मनरेगा से महात्मा शब्द हटाने पर प्रियंका गांधी बोली- इनकी मानसिकता समझ नहीं आ रही

प्रियंका गांधी वाड्रा ने इस नाम परिवर्तन को लेकर सीधे और व्यावहारिक सवाल उठाए हैं। उन्होंने कहा कि महात्मा गांधी का नाम पहले से ही इस योजना से जुड़ा हुआ है, फिर ऐसे में नाम बदलने के पीछे की मानसिकता समझ से परे है। उन्होंने इस प्रक्रिया को एक बड़ा सरकारी अभ्यास बताते हुए कहा कि किसी योजना का नाम बदलना सिर्फ कागजी कार्रवाई नहीं है, बल्कि इसमें सरकारी संसाधनों और धन की भी खपत होती है। जब ग्रामीण रोजगार, मजदूरी भुगतान और काम की उपलब्धता जैसे मुद्दे अहम हैं, तो नाम बदलने पर खर्च करना कितना जरूरी है, यह सवाल खड़ा होता है।

प्रमोद तिवारी ने कहा- भाजपा सरकार का रिकॉर्ड नाम बदलने का रह गया

वहीं, कांग्रेस सांसद प्रमोद तिवारी ने इस फैसले पर और भी तीखे शब्दों में प्रतिक्रिया दी। उन्होंने कहा कि भाजपा सरकार का रिकॉर्ड नाम बदलने तक सीमित रह गया है और असली मुद्दों पर काम कम दिखता है। प्रमोद तिवारी ने यह भी रेखांकित किया कि मनरेगा की शुरुआत यूपीए सरकार ने सोनिया गांधी की प्रेरणा से की थी और इसे महात्मा गांधी के नाम से जोड़ने के पीछे एक वैश्विक सोच थी। उनके अनुसार, महात्मा गांधी कोई सामान्य नाम नहीं, बल्कि पूरी दुनिया में अहिंसा और मानवता का प्रतीक हैं।

प्रमोद तिवारी ने भाजपा पर महात्मा गांधी को लेकर दोहरे रवैये का भी आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि पार्टी को गांधी से घृणा और गोडसे से प्रेम है, इसी सोच का परिणाम है कि मूल नाम को बदला जा रहा है। उन्होंने ‘बापू’ शब्द के प्रयोग पर भी आपत्ति जताई, कहा कि कई लोग खुद को बापू कहने लगते हैं, जबकि महात्मा गांधी का स्थान अतुलनीय है और उनके नाम का कोई भी प्रयोग स्वीकार्य नहीं होना चाहिए।

प्रियंका चतुर्वेदी ने कहा- सरकार की हताशा का प्रतीक है

विपक्षी नेता प्रियंका चतुर्वेदी ने कहा कि सरकार की हताशा अब साफ नजर आने लगी है। उन्होंने कहा कि ऐसी हताशा में ये फैसले किए जा रहे हैं, जो जनता का ध्यान भटकाने का एक और तरीका हैं। प्रियंका के अनुसार, जब सरकार के पास जवाब देने के लिए ठोस मुद्दे नहीं होते, तब ऐसे प्रतीकात्मक बदलाव सामने आते हैं ताकि असली समस्याओं पर चर्चा न हो।

प्रियंका चतुर्वेदी ने वंदे मातरम् के 150 वर्षों पर हुई चर्चा का जिक्र करते हुए कहा कि अब जनता समझने लगी है कि कौन सा इतिहास व्हाट्सऐप पर चल रहा है और कौन सा असली है। उन्होंने कहा कि जो लोग व्हाट्सऐप वाले इतिहास पर भरोसा करते हैं, उन्हें गांधी परिवार से चिढ़ होती है, लेकिन जो सच्चा इतिहास जानते हैं, वे गांधी परिवार के योगदान का सदैव सम्मान करेंगे।

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