अब अंतागढ़ और रावघाट इलाके में तेजी से बढ़ रही हैं नक्सली गतिविधियां, सुनाई दे रही मैदानी इलाके में बड़े खतरे की आहट

0 नक्सलियों ने अंतागढ़ क्षेत्र में सड़क किनारे लगाए बैनर
 
जगदलपुर । बस्तर संभाग के सघन जंगली भागों में पुलिस और सुरक्षा बलों के लगातार बढ़ते दबाव के चलते नक्सलियों की पदचाप अब संभाग के मैदानी भागों में सुनाई देने लगी है। बस्तर के अंतागढ़ और रावघाट इलाके में नक्सलियों की उपस्थिति किसी बड़े खतरे का संकेत दे रहे हैं। कांकेर जिले में अपने 29 साथियों की मौत से बौखलाए नक्सली बड़े पैमाने पर रक्तपात कर सकते हैं।अंतागढ़, रावघाट इलाके में वर्षों पहले नक्सलियों की उपस्थिति कभी कभी सुनाई देते थे। इलाके में सुरक्षा बलों के कैंप स्थापित होने तथा जवानों के मूवमेंट बढ़ने से इलाके में शांति स्थापित हो गई थी। हालात सुधरने के बाद सुरक्षा बलों का कैंप वहां से हटा लिया गया। इधर कांकेर जिले में पिछले दिनों हुई मुठभेड़ में 29 नक्सलियों के मारे जाने के बाद एक बार फिर अंतागढ़, रावघाट इलाके में नक्सलियों के सक्रिय होने के संकेत मिले हैं। 

नक्सलियों ने अंतागढ़ इलाके में बड़े पैमाने बैनर पोस्टर लगाकर अपनी उपस्थिति का अहसास करा दिया है। अंतागढ़ से नारायणपुर जाने वाले स्टेट हाइवे 5 पर बोंदानार के समीप नक्सलियों द्वारा लगाए गाए बैनर, पोस्टर देखे गए हैं। मौके पर पहुंचे सुरक्षा बल के जवानों ने इन बैनर पोस्टर को निकाल कर जप्त किया है। बताते हैं कि लोकसभा चुनाव के बहिष्कार को लेकर नक्सलियों ने ये बैनर पोस्टर लगाए थे।नक्सलियों की रावघाट एरिया कमेटी द्वारा इन बैनर पोस्टर्स को लगाया गया था। जिस जगह पर पहले बीएसएफ का कैंप था, वहां भी नक्सली बैनर पोस्टर लगे दिखे। इस कैंप को कुछ माह पहले ही हटाया गया था। अचानक अंतागढ़ रावघाट क्षेत्र में नक्सलियों की हलचल शुरू होने से क्षेत्र के लोगों में दहशत का माहौल है। वहीं यह हलचल किसी बड़े खतरे का भी संकेत दे रही है।


कहा जा रहा है कि अपने 29 साथियों की मौत का बदला लेने आतुर नक्सली अब धीरे धीरे अंतागढ़ रावघाट इलाके में पांव पसारते हुए लामबंद होने लगे हैं। इस इलाके के सैकड़ों गांव नक्सली गतिविधियों से प्रभावित रहे हैं। सीआरपीएफ और बीएसएफ का कैंप स्थापित होने के बाद नक्सली गतिविधियों पर काफी लगाम लगा था। केंद्रीय सुरक्षा बल बीएसएफ का कैंप हटने से फिर उनकी गतिविधि अब सड़क के दोनो ओर दिखनी शुरू हो गई है। विदित हो कि रायपुर दुर्ग से व्हाया दल्ली राजहरा ताड़ोकी अंतागढ़ तक चलने वाली पैसेंजर ट्रेन अब बस्तर संभाग के भानुप्रतापपुर, अंतागढ़ इलाके के पचासों गांवों के ग्रामीणों के बीच काफी लोकप्रिय हो गई है।


आवागमन का सस्ता, तेज और सुलभ साधन इस ट्रेन के रूप में अंचल के लोगों को अरसे बाद मिल पाई है। वहीं रावघाट आयरन ओर माइंस भिलाई इस्पात संयंत्र और निजी इस्पात उद्योगों के लिए वरदान साबित हुई है।


कर सकते हैं बड़ी वारदात
अपने साथियों की मौत से बौखलाए नक्सली अगर इलाके में चलने वाली ट्रेन और रावघाट माइंस पर मैली नजर डालते हैं, तो जन धन की बड़ी हानि हो सकती है। इस खतरे को रोकने के लिए इन इलाकों में सुरक्षा बलों की मौजूदगी जरुरी हो गई है। अंतागढ़, ताड़ोकी, भानुप्रतापपुर के बीच सड़क मार्ग और रेलमार्ग के आसपास नक्सलियों के संघम सदस्यों द्वारा बैनर पोस्टर के अलावा कुछ बड़ी तैयारी के भी संकेत ग्रामीणों को दिख रहे हैं। अक्सर इस इलाके लगने वाले बाजारों में बाहरी व्यापारियों को अब गुपचुप तरीके से सावधान रहने की सूचना मिली है। कांकेर जिले से सटा नारायणपुर जिले का यह इलाका अब रेल और लौह अयस्क खनन के मामले को लेकर काफी महत्त्वपूर्ण हो गया है। अरबों खरबों की लागत से केंद्रीय योजना के साथ राज्य सरकार की परियोजना के तहत रावघाट प्रोजेक्ट और दल्ली राजहरा – भानुप्रतापपुर, अंतागढ़ रेल प्रोजेक्ट के कार्य को अंजाम दिया जा रहा है। अगर इस बीच कोई ऐसा दुर्भाग्य जनक घटना घटती है तो आम लोगों के साथ ही दोनों बड़ी परियोजनाओं को भारी नुकसान हो सकता है।

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