
Yug Murder : हिमाचल प्रदेश उच्च न्यायालय ने मंगलवार को अहम फैसला सुनाते हुए बहुचर्चित मासूम युग की हत्या के मामले में दोषियों की सजा पर फैसला दिया है। न्यायालय ने पहले दी गई मौत की सजा को उम्रकैद में बदल दिया है।
इस फैसले के अनुसार, दोषियों चंद्र शर्मा और विक्रांत बख्शी को आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई है, जिसका अर्थ है कि वे शेष जीवन तक जेल में रहेंगे। वहीं, तीसरे आरोपित तजेंद्र पाल सिंह को सभी आरोपों से बरी कर दिया गया है।
न्यायमूर्ति विवेक सिंह ठाकुर और न्यायमूर्ति राकेश कैंथला की विशेष खंडपीठ ने अपने फैसले में कहा कि सेशन कोर्ट द्वारा दी गई मौत की सजा को अब उम्रकैद में परिवर्तित किया जाता है, जो प्राकृतिक जीवनकाल तक लागू रहेगी। अदालत ने स्पष्ट किया कि इस मामले में फांसी की सजा अब बरकरार नहीं रहेगी।
यह मामला जून 2014 का है, जब शिमला के राम बाजार से चार वर्षीय मासूम युग का अपहरण कर लिया गया था। आरोपितों ने फिरौती के लिए बच्चे का अपहरण किया और साढ़े तीन करोड़ रुपये की फिरौती मांगी। जब वांछित रकम नहीं मिली, तो आरोपितों ने बच्चे को यातनाएँ दीं, शरीर पर पत्थर बांधकर पानी के टैंक में फेंक दिया। अगस्त 2016 में भराड़ी के पेयजल टैंक से युग का कंकाल बरामद हुआ। जांच के बाद 25 अक्टूबर 2016 को चार्जशीट दाखिल की गई। ट्रायल फरवरी 2017 में शुरू हुआ और अदालत ने दस महीने के भीतर दोषियों को मौत की सजा सुनाई।
मामले के फैसले के बाद युग के परिजनों ने नाराजगी व्यक्त की है। युग के पिता विनोद गुप्ता ने कहा कि 11 साल गुजर जाने के बाद भी उनके बेटे को न्याय नहीं मिला। उन्होंने कहा कि फांसी की सजा को उम्रकैद में बदलकर न्यायालय ने परिवार को और अधिक दुख पहुंचाया है। उन्होंने उच्चतम न्यायालय से अपील करने का आश्वासन देते हुए कहा कि वे दोषियों को जल्द से जल्द फांसी की सजा दिलाने के लिए प्रयास करेंगे।
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