वोट दिया, अब भुगतो! बैकुंठपुर में लोकतंत्र के नाम पर गुंडागर्दी, दलित परिवार पर हुआ हमला

Bihar Election 2025 : कल बिहार विधानसभा चुनाव में पहले चरण के लिए 121 सीटों पर जमकर मतदान हुआ. बिहार के चुनावी इतिहास में अब तक सबसे ज्यादा 64.66 प्रतिशत मतदान ने इस बार न केवल चुनाव आयोग को चौंकाया बल्कि इससे राजनीतिक दलों में भी खलबली मचा दी..ये आंकड़ा अपने आप में एक संदेश दे रहा है कि बिहार की जनता इस बार बदलाव की बयार में सांस ले रही है, वो अपने वोट की ताकत को समझ चुकी है, और वो किसी भी कीमत पर अपनी आवाज को दबने नहीं देना चाहती। लेकिन इसी उत्साह, इसी जन-ज्वार के बीच गोपालगंज जिले के बैकुंठपुर विधानसभा क्षेत्र से एक ऐसी हैरान करने वाली, दिल दहला देने वाली और लोकतंत्र के माथे पर कलंक लगाने वाली घटना सामने आई है, जो हर संवैधानिक मूल्य, हर लोकतांत्रिक सिद्धांत और हर इंसानी संवेदना को चुनौती देती है। बता दें कि गोपालगंज जिले के बैकुंठपुर विधानसभा क्षेत्र में दलित परिवार के तीन सदस्य – मानेश राम, उनके पिता छठ्ठू राम और भाई बलम राम पर वोटिंग से आने के बाद हमला हो गया..और हमले की वजह जानकर आपको भी हैरानी होगी…वजह बताई जा रही है कि उन्होंने भारतीय जनता पार्टी को वोट दिया था।…अब यहीं सोचिए, वोट की गोपनीयता, जो हमारे संविधान का मूल आधार है, जिसे हर मतदाता का मौलिक अधिकार माना जाता है, उसे कुछ दबंगों ने लाठी-डंडों से कुचलने की कोशिश की। वहीं जानकारी के मुताबिक पीडितों का कहना है कि मतदान केंद्र से घर लौटते वक्त इन तीनों को गांव के कुछ लोगों ने रोका, सवाल किया—किसे वोट दिया? जवाब मिला—भाजपा को। बस, इतना सुनते ही हमलावरों ने लाठी-डंडों की बौछार शुरू कर दी, मानो वोट देना कोई अपराध हो, मानो अपनी पसंद जाहिर करना कोई गुनाह हो। तीनों को गंभीर चोटें आईं, खून से लथपथ हालत में पहले सिधवलिया सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र ले जाया गया, फिर हालत बिगड़ने पर गोपालगंज सदर अस्पताल में भर्ती कराया गया, जहां उनकी हालत अभी भी गंभीर बनी हुई है। पीड़ित परिवार ने स्पष्ट आरोप लगाया है कि हमलावर गांव के ही अखिलेश यादव, विशाल यादव, उनके पिता और कुल छह लोग हैं, जो कथित तौर पर राष्ट्रीय जनता दल के समर्थक हैं, और उन्होंने साफ-साफ कहा कि भाजपा को वोट देने की बात पर उन्हें निशाना बनाया गया। ये सिर्फ एक हमला नहीं है, ये वोटर दमन का एक खुला उदाहरण है, ये चुनावी हिंसा का वो चेहरा है जो लोकतंत्र को अंदर से खोखला करता है।

घटना की सूचना मिलते ही बैकुंठपुर से भाजपा प्रत्याशी मिथिलेश तिवारी तुरंत अस्पताल पहुंचे, घायलों से मुलाकात की, उनका हालचाल जाना और सीधे-सीधे आरोप लगाया कि आरजेडी समर्थक अपनी हार की आशंका से बौखलाए हुए हैं, और इसी बौखलाहट में वो भाजपा समर्थकों और वोटरों को निशाना बना रहे हैं। मिथिलेश तिवारी ने प्रशासन से सख्त मांग की है कि 48 घंटे के अंदर सभी आरोपियों की गिरफ्तारी हो, वरना वो आंदोलन करने को मजबूर होंगे। दूसरी तरफ गोपालगंज के एसडीपीओ राजेश कुमार ने इस घटना की पुष्टि की है, और बताया कि मतदान के बाद बैकुंठपुर, महम्मदपुर और सिधवलिया थाना क्षेत्रों में मारपीट की कुल तीन घटनाएं दर्ज की गई हैं, जिनकी गहन जांच चल रही है। फिलहाल पूरे इलाके में तनाव का माहौल है, पुलिस ने गश्त बढ़ा दी है, अतिरिक्त बल तैनात किया गया है, और प्रशासन ने लोगों से शांति बनाए रखने की बार-बार अपील की है। लेकिन सवाल ये है कि क्या अपील काफी है? क्या गश्त से लोकतंत्र की रक्षा हो जाएगी? अगर वोट डालने की कीमत जान से चुकानी पड़े, अगर अपनी पसंद की पार्टी को वोट देना अपराध बन जाए, तो फिर हम किस तरह के लोकतंत्र की बात कर रहे हैं? ये घटना सिर्फ एक परिवार की नहीं, पूरे बिहार के मतदाताओं की सुरक्षा, उनकी स्वतंत्रता और उनके अधिकारों पर सवाल खड़ा करती है। क्या वोट की गोपनीयता अब सिर्फ कागजों तक सीमित रह गई है? फिलहाल पुलिस ने गश्त बढ़ा दी है और प्रशासन ने लोगों से शांति बनाए रखने की अपील की है।

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