लखनऊ : उत्तर प्रदेश सरकार ने आबकारी राजस्व में इजाफा करने के लिए बड़ा फैसला लिया है। योगी सरकार की ओर से तय किया गया है कि प्रदेश के शॉपिंग मॉल्स में कुछ प्रीमियम और इम्पोर्टेड ब्रैंड्स की शराब बिक सकेगी। शराब बिक्री के लाइसेंस की प्रक्रिया सोमवार से शुरू होगी लेकिन इन शॉपिंग मॉल में शराब पीने-पिलाने की अनुमति नहीं होगी।
अपर मुख्य सचिव (आबकारी) संजय भूसरेड्डी ने बताया कि विगत कुछ वर्षो से शापिंग माल में खरीददारी का प्रचलन तेजी से बढ़ा है, जिसे देखते हुए इनमें महंगी विदेशी शराब बेचने की अनुमति प्रदान की गई है। इन दुकानों से आयातित विदेशी शराब, भारत में बनी स्कॉच, ब्रांडी, जिन और वाइन के सभी ब्रांड ग्राहक खरीद सकते है। शॉपिंग मॉल्स में 700 रुपये से ऊपर के प्रीमियम और इम्पोर्टेड ब्रांड मिलेंगे। इसके साथ ही 160 रुपये से ऊपर की प्रीमियम और इम्पोर्टेड ब्रांड की बीयर के कैन बेचने की अनुमति भी मिलेगी।
12 लाख रुपये में मिलेगा शराब की दुकान का लाइसेंस
उन्होंने बताया कि ऐसी दुकानों की सालाना लाइसेंस फीस 12 लाख रूपये तय की गई है, जो किसी व्यक्ति, कंपनी, फर्म या सोसाएटी द्वारा प्राप्त किया जा सकता है। इन दुकानों में ग्राहको को प्रवेश करने और अपनी इच्छानुसार खुद से ब्रांड चुनने की सुविधा होगी। भूसरेड्डी ने साफ किया कि सभी दुकानें वातानुकूलित होंगी लेकिन शापिंग मॉल्स परिसर में शराब पिलाने अथवा पीने की अनुमति नही होगी।
उन्होंने कहा कि लाइसेंस प्रक्रिया सोमवार 27 जुलाई से शुरू हो जाएगी। भूसरेड्डी के अनुसार, यूपी सरकार कैबिनेट ने एक महीने पहले शॉपिंग माल्स में शराब बेचने के फैसले पर अपनी मुहर लगाई थी। यूपी सरकार अपने इस कदम से राज्य का आबकारी राजस्व बढ़ाना चाहती है। कैबिनेट बाई सर्कुलेशन प्रस्ताव के जरिये यह अहम फैसला लिया गया है।
पुराने स्टॉक के लिए भी तय हुए नए नियम
सरकार की ओर से शराब के पुराने स्टॉक के निस्तारण के लिए भी नई नियमावली बनाई गई है। वित्तीय वर्ष पूरा होने के बाद भी सरकार ने बचे हुए स्टॉक के लिए नए नियम तैयार किए हैं। शराब के दाम भी बढ़ाए जा चुके हैं। इससे पहले आबकारी विभाग ने शराब पर टैक्स बढ़ाने का फैसला लिया था। लॉकडाउन के दौरान आबकारी विभाग को राजस्व का भारी नुकसान हुआ है, ऐसे में आबकारी विभाग ने शराब पर टैक्स बढ़ाकर भी नुकसान की भरपाई की कोशिश की थी।