योगी सरकार का बड़ा ऐलान: लखनऊ और कानपुर में ई-बस सेवा शुरू, 10 रूट्स पर होगी संचालन

लखनऊ: उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार ने लखनऊ और कानपुर के नागरिकों के लिए परिवहन सुविधाओं को और बेहतर बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण निर्णय लिया है. हाल ही में हुई कैबिनेट बैठक में दोनों शहरों के 10-10 रूटों पर प्राइवेट ऑपरेटरों के माध्यम से इलेक्ट्रिक बसें (ई-बस) चलाने के प्रस्ताव को मंजूरी दी गई. यह पहल न केवल पर्यावरण के अनुकूल परिवहन को बढ़ावा देगी, बल्कि आसपास के क्षेत्रों से आने-जाने वाले लोगों के लिए आवागमन को सुगम और सस्ता बनाएगी. नगर विकास मंत्री एके शर्मा ने इस निर्णय को शहरवासियों के लिए एक बड़ी उपलब्धि बताया.

ई-बस परियोजना का उद्देश्य

नगर विकास मंत्री एके शर्मा ने प्रेस वार्ता में बताया कि इस परियोजना का मुख्य उद्देश्य लखनऊ और कानपुर के आसपास के क्षेत्रों से आने-जाने वाले लोगों को सुविधाजनक और पर्यावरण के अनुकूल परिवहन उपलब्ध कराना है. इसके लिए प्राइवेट ऑपरेटरों को लाइसेंस दिए जाएंगे, जो ई-बसों का संचालन करेंगे. सरकार इस परियोजना में कोई आर्थिक सहायता नहीं देगी, लेकिन चार्जिंग स्टेशनों जैसी बुनियादी सुविधाएं उपलब्ध कराएगी. यह योजना प्रयोग के तौर पर दोनों शहरों के कुल 20 रूटों पर शुरू की जाएगी.

लखनऊ के लिए चयनित रूट

लखनऊ में ई-बसें 10 प्रमुख रूटों पर चलेंगी, जो शहर के विभिन्न हिस्सों को आसपास के क्षेत्रों से जोड़ेंगी. इनमें चारबाग से बाराबंकी, कमता से एयरपोर्ट, बालागंज से मोहनलालगंज, बालागंज से विराजखंड, घंटाघर से माल थाना, स्कूटरिया से इंजीनियरिंग कॉलेज, चारबाग से देवा, चारबाग से कुर्सी, दुबग्गा से गंगागंज और घंटाघर से संडीला शामिल हैं. प्रत्येक रूट पर एक-एक बस शुरू में संचालित होगी, जिससे यात्रियों को सुगम और पर्यावरण अनुकूल यात्रा का विकल्प मिलेगा.

कानपुर के लिए चयनित रूट

कानपुर में भी 10 रूटों पर ई-बसों का संचालन होगा. इनमें राम देवी से जहानाबाद, फजलगंज से ऊरा, घंटाघर से अकबरपुर, कानपुर रेलवे स्टेशन से बिनकी, कानपुर रेलवे स्टेशन से बिठूर, कानपुर रेलवे स्टेशन से घटमपुर, कानपुर रेलवे स्टेशन से आईआईटी, घंटाघर से मूसानगर, और कानपुर सिटी के सर्कुलर रूट शामिल हैं. इन रूटों पर भी प्रत्येक रूट के लिए एक बस शुरू की जाएगी, जिससे शहर और आसपास के क्षेत्रों में कनेक्टिविटी बढ़ेगी.

परियोजना की विशेषताएं

मंत्री एके शर्मा ने बताया कि वर्तमान में प्रदेश के 15 नगर निगमों में 743 ई-बसों का संचालन हो रहा है. नई परियोजना के तहत लखनऊ और कानपुर में संचालित होने वाली सभी बसें इलेक्ट्रिक होंगी. प्रत्येक बस की लागत लगभग 10 करोड़ रुपये होगी, और इनका संचालन 12 वर्ष के कॉन्ट्रैक्ट पर आधारित होगा. किराया तय करने का अधिकार सरकार के पास रहेगा, जिससे यात्रियों पर अतिरिक्त बोझ न पड़े. चार्जिंग स्टेशनों की व्यवस्था भी सरकार द्वारा सुनिश्चित की जाएगी.

पर्यावरण और सुशासन की दिशा में कदम

यह परियोजना न केवल परिवहन को आधुनिक और सुगम बनाएगी, बल्कि पर्यावरण संरक्षण में भी योगदान देगी. इलेक्ट्रिक बसों के उपयोग से कार्बन उत्सर्जन में कमी आएगी, जिससे शहरों में प्रदूषण का स्तर कम होगा. साथ ही, प्राइवेट ऑपरेटरों के माध्यम से संचालन से परियोजना की पारदर्शिता और दक्षता भी सुनिश्चित होगी. यह कदम योगी सरकार की सुशासन और पर्यावरण संरक्षण की प्रतिबद्धता को दर्शाता है.

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