लखनऊ की जिस इमारत की दीवार फांदकर अंदर गए थे अखिलेश यादव, उस पर योगी सरकार ने लिया बड़ा फैसला

उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में स्थित जयप्रकाश नारायण अंतरराष्ट्रीय केंद्र (जेपीएनआईसी) को लेकर योगी सरकार ने अहम फैसला लिया है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट बैठक में निर्णय लिया गया कि अब इस बिल्डिंग की जिम्मेदारी लखनऊ विकास प्राधिकरण (LDA) को सौंपी जाएगी।

यह वही बिल्डिंग है, जिसे समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने अपने ड्रीम प्रोजेक्ट के तौर पर तैयार करवाया था। और यही वह इमारत है, जिसकी दीवार फांदकर अखिलेश 11 अक्टूबर 2023 को अंदर दाखिल हुए थे, जो उस वक्त राजनीतिक सुर्खियों में छा गया था।

मरम्मत कराएगा LDA, संचालन की भी जिम्मेदारी

राज्य सरकार ने फैसला लिया है कि जेपीएनआईसी की मरम्मत लखनऊ विकास प्राधिकरण द्वारा करवाई जाएगी और भविष्य में इसका संचालन भी LDA के जिम्मे होगा।

कैबिनेट मंत्री सुरेश खन्ना ने जानकारी दी कि जेपीएनआईसी सोसाइटी को समाप्त कर दिया गया है और अब यह संपूर्ण परिसर लखनऊ विकास प्राधिकरण को सौंपा जा रहा है।

अखिलेश का ड्रीम प्रोजेक्ट, 864 करोड़ की लागत

जेपीएनआईसी का निर्माण साल 2016 में समाजवादी पार्टी की सरकार के दौरान शुरू हुआ था। यह प्रोजेक्ट तत्कालीन मुख्यमंत्री अखिलेश यादव का ड्रीम प्रोजेक्ट था, जिस पर करीब 864 करोड़ रुपये खर्च किए गए थे।

2017 तक इसका करीब 80 प्रतिशत निर्माण कार्य पूरा हो चुका था। यह इमारत 18 मंजिला है और इसमें आधुनिक सुविधाएं जैसे—

  • मल्टीलेवल पार्किंग
  • म्यूजियम
  • बैडमिंटन कोर्ट और लॉन टेनिस
  • ऑल वेदर स्विमिंग पूल
  • गेस्ट हाउस
  • हेलीपैड
    — मौजूद हैं।

अखिलेश ने क्यों फांदी थी दीवार?

जेपीएनआईसी परिसर में जयप्रकाश नारायण की प्रतिमा लगाई गई है। 11 अक्टूबर 2023 को उनकी जयंती पर अखिलेश यादव वहां माल्यार्पण करना चाहते थे। लेकिन प्रशासन ने परिसर को घेराबंदी करके बंद कर रखा था, गेट पर टीन शेड भी लगा दिया गया था।

ऐसे में अखिलेश यादव दीवार फांदकर परिसर के अंदर पहुंचे, जिसका वीडियो वायरल हुआ और इस घटना ने सियासी बवाल मचा दिया।

बीजेपी बनाम सपा: आरोप-प्रत्यारोप

जेपीएनआईसी को लेकर सपा और बीजेपी के बीच लंबे समय से टकराव रहा है।

  • सपा का आरोप रहा है कि बीजेपी सरकार इस इमारत को निजी हाथों में बेचने की साजिश कर रही है।
  • वहीं, बीजेपी का दावा था कि इस भवन के निर्माण में भारी भ्रष्टाचार हुआ, और इसकी जांच कर कार्रवाई होनी चाहिए।

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