योग भारतीय संस्कृति की अमूल्य देन, मानसिक, बौद्धिक, आत्मिक संतुलन का भी माध्यम : राज्यपाल

  • राजभवन में निजी विश्वविद्यालयों के साथ अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस-2025 के आयोजन को लेकर एक महत्वपूर्ण बैठक सम्पन्न
  • वृक्ष केवल हमारे पर्यावरण के रक्षक ही नहीं, बल्कि जीवनदायिनी ऊर्जा के स्रोत भी हैं

लखनऊ प्रदेश की राज्यपाल एवं राज्य विश्वविद्यालयों की कुलाधिपति आनंदीबेन पटेल की अध्यक्षता में आज राजभवन में अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस-2025 के आयोजन को लेकर एक महत्वपूर्ण बैठक सम्पन्न हुई। बैठक में प्रदेश के विभिन्न निजी विश्वविद्यालयों के कुलपति एवं अधिकारियों ने वर्चुअली भाग लिया। बैठक का उद्देश्य भारत सरकार के आयुष मंत्रालय द्वारा जारी दिशा-निर्देशों के अनुरूप योग कार्यक्रमों की योजना बनाना और उसे जनसामान्य तक पहुंचाने की रणनीति तय करना था।

राज्यपाल ने अपने उद्बोधन में कहा कि योग भारतीय संस्कृति की अमूल्य देन है, जो केवल शारीरिक स्वास्थ्य तक सीमित नहीं बल्कि मानसिक, बौद्धिक और आत्मिक संतुलन का भी माध्यम है। उन्होंने स्पष्ट किया कि 21 जून को मनाया जाने वाला अंतरराष्ट्रीय योग दिवस केवल एक दिवस का कार्यक्रम न बने, बल्कि इसे पूरे प्रदेश में 1 जून से 21 जून तक सतत रूप से मनाया जाना चाहिए। उन्होंने विश्वविद्यालयों को निर्देशित किया कि वे अपने निकटवर्ती क्षेत्रों में स्थित आंगनबाड़ी केंद्रों, प्राथमिक व माध्यमिक विद्यालयों, अन्य शैक्षणिक संस्थानों और महाविद्यालयों से समन्वय स्थापित करते हुए योग अभ्यास सत्र आयोजित करें।

राज्यपाल ने बैठक में यह निर्देश दिया कि आयुष मंत्रालय द्वारा निर्धारित 10 बिंदुओं पर सभी विश्वविद्यालय गंभीरता से कार्य करें और इन कार्यक्रमों को पूरे प्रदेश में प्रभावी ढंग से लागू करें। योग कार्यक्रम केवल औपचारिकता न बने, बल्कि इसका वास्तविक परिणाम दिखना चाहिए। विश्वविद्यालयों को यह सुनिश्चित करना होगा कि इन कार्यक्रमों से आमजन के स्वास्थ्य में क्या सकारात्मक परिवर्तन आया, इस पर ध्यान केंद्रित किया जाए। इन गतिविधियों के प्रभाव और परिणामों का समग्र विश्लेषण कर एक पुस्तक तैयार कराई जाए, जिसमें इन प्रयासों से आए बदलावों का उल्लेख हो। इस पुस्तक का वितरण प्रदेश के अन्य विश्वविद्यालयों में भी किया जाए ताकि योग के लाभों के प्रति जनजागरूकता और अधिक बढ़ सके।

राज्यपाल जी ने यह भी कहा कि सभी विश्वविद्यालय अपने यहां अध्ययनरत छात्राओं का बीएमआई (बॉडी मास इंडेक्स) परीक्षण अवश्य कराएं। यदि किसी छात्रा में किसी प्रकार की स्वास्थ्य समस्या पाई जाती है, तो उसके उपचार हेतु उन्हें जागरूक और प्रेरित किया जाए। उन्होंने कहा कि एक बेटी को यदि हम स्वस्थ बनाते हैं, तो वह अपने परिवार की अनेक महिलाओं के स्वास्थ्य की रक्षा कर सकती है, क्योंकि वही बेटी भविष्य में मां बनकर पूरे परिवार को स्वास्थ्य के प्रति सजग बना सकती है।

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