लखनऊ । राष्ट्रीय राजनीति में नरेन्द्र मोदी के पदार्पण के बाद भारत के साथ ही उप्र में भी भाजपा नई मुकाम पहुंच गयी थी। अब विपक्ष के लिए जमीन तैयार करना कठिन लग रहा था। लगातार जीत से उत्साहित भाजपा के लिए 2024 में तब करंट लगा जब 2019 में सपा-बसपा गठबंधन के बावजूद 62 सीटें जीतने वाली भाजपा 33 सीटों पर सीमट गयी। वहीं सपा ने 37 सीटे जीतकर कांग्रेस के बाद विपक्ष में दूसरी सबसे बड़ी पार्टी बन गयी । एक प्रकार से भाजपा की सबसे बड़ी पराजय थी। इससे भाजपा कार्यकर्ताओं में निराशा छा गयी। वहीं केन्द्रीय व प्रदेश नेतृत्व में हार के कारणों पर मंथन शुरू हुआ। मंथनों का फायदा हुआ और विधानसभा उपचुनाव में भाजपा ने हार से सबक लिया और 11 में से नौ सीटें जीत कर कार्यकर्ताओं में पुन: जोश ला दिया।
मुख्यमंत्री योगी और केशव के बीच तनातनी की खबरें सुर्खियों में रहीं
2024 के लोकसभा चुनाव में उत्तर प्रदेश में पराजय के बाद प्रदेश में नेतृत्व परिवर्तन की भी शुगबुगाहट होने लगी। चुनाव परिणाम के बाद 14 जुलाई 2024 को बाबा साहब भीमराव आम्बेडकर विश्वविद्यालय में भाजपा प्रदेश कार्यसमिति की बैठक रखी गयी। बैठक में प्रदेश के सभी नेताओं के साथ पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा भी मंच पर विराजमान थे। प्रदेश कार्यसमिति की बैठक को संबोधित करते हुए उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य ने कहा कि सरकार से बड़ा संगठन है। केशव प्रसाद मौर्य का बयान सोशल मीडिया पर खूब वायरल हुआ।
गृहमंत्री ने मंत्रणा की
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य के बीच तनातनी की खबरें मीडिया में चलने लगीं। इसी बीच दूसरे उप मुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक की भी योगी से अनबन की खबरें चलने लगी। स्थिति यहां तक बिगड़ गयी कि केन्द्रीय नेतृत्व को हस्तक्षेप करना पड़ा। पार्टी अध्यक्ष जेपी नड्डा और गृहमंत्री अमित शाह ने यूपी के प्रमुख नेताओं को दिल्ली बुलाकर मंत्रणा की। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ढ़ाल बनकर योगी के साथ खड़ा हुआ। अंतत: इस विवाद का पटाक्षेप हुआ।
विधानसभा उपचुनाव में भाजपा को मिली ऐतिहसिक जीत
उत्तर प्रदेश में 2024 के लोकसभा चुनाव में भाजपा को जबर्दस्त झटका लगा था। इसके बाद विधानसभा उपचुनाव में प्रदेश की नौ में से 7 विधानसभा सीटों पर कमल खिलाकर कर भाजपा ने कार्यकर्ताओं के जख्मों पर मरहम लगाने का काम किया। इनमें मुरादाबाद की कुंदरकी विधानसभा सीट जहां पर 64 प्रतिशत मुस्लिम आबादी है वहां पर भाजपा की जीत सर्वाधिक चर्चा में रही। वहीं वर्ष के अंत में 19 दिसम्बर को घोषित प्रदेश के नगर निकायों के उपचुनाव में भी भाजपा ने बड़ी जीत हासिल की है। भाजपा ने निकाय उपचुनाव में दो नगर पालिका अध्यक्ष एवं दो नगर पंचायत अध्यक्षों के पदों पर विजय प्राप्त की है। इसके अलावा पार्टी ने नगर निगम के तीन पार्षदों में से दो पर जीत हासिल की है।
संगठनात्मक चुनाव में उलझी भाजपा
भारतीय जनता पार्टी में इन दिनों संगठन के चुनाव चल रहे हैं। सबसे बड़ी पार्टी और सरकार में होने के कारण भाजपा में कार्यकर्ताओं की बड़ी फौज है। ऐसे में कार्यकर्ताओं का समायोजन करना बड़ी चुनौती है। संगठन ने 15 दिसम्बर तक मण्डल अध्यक्ष और 30 दिसम्बर तक जिलाध्यक्षों के के चयन की तारीख निर्धारित की थी। दिसम्बर माह बीतने वाला है लेकिन अभी मण्डल अध्यक्षों के चयन में भाजपा को पसीने छूट रहे हैं। जानकारों का मानना है कि अभी मण्डल अध्यक्षों के चयन में यह स्थिति है तो जिलाध्यक्षों के चयन में क्या होगा? ऐसा पहली बार हो रहा है जब मण्डल अध्यक्षों का चयन प्रदेश से हो रहा है।