
इंदौर : प्रौद्योगिकी और शिक्षा के बीच की खाई को पाटने के उद्देश्य से अपने फ्लैगशिप प्रोग्राम यशोदा AI के तहत फ्यूचर शिफ्ट लैब्स (FSL) के सहयोग से सुशीला देवी बंसल कॉलेज ऑफ टेक्नोलॉजी, इंदौर में आज एक विशेष कार्यशाला का आयोजन किया गया। यह कार्यशाला छात्रों को आर्टिफ़िशियल इंटेलिजेंस (AI) की बदलती भूमिका और उससे जुड़े अवसरों एवं जोखिमों के प्रति जागरूक करने का एक महत्वपूर्ण प्रयास है।
कार्यक्रम में कॉलेज के विभिन्न विभागों के छात्रों ने भाग लिया और समझा कि AI किस प्रकार शिक्षा, कामकाज और समाज को प्रभावित कर रहा है। सत्र में ऑनलाइन उत्पीड़न, गलत सूचना और तकनीक के गैर-जिम्मेदाराना उपयोग से जुड़े जोखिमों को भी रेखांकित किया गया। छात्रों के लिए लाइव डेमो, परिदृश्य-आधारित चर्चाएं और वास्तविक केस अध्ययन आयोजित किए गए, जिससे उन्हें एआई के व्यावहारिक प्रभावों की गहरी समझ मिली।

राष्ट्रीय महिला आयोग (NCW) की अध्यक्षा श्रीमती विजय राहटकर ने अपने संबोधन में कहा, “सच्ची प्रगति केवल तकनीकी उपलब्धियों में नहीं, बल्कि इन नवाचारों का जिम्मेदारी और उद्देश्य के साथ उपयोग करने की हमारी क्षमता में है। छात्रों को आलोचनात्मक और नैतिक दृष्टिकोण से AI को समझने के लिए सक्षम बनाकर, हम एक ऐसी पीढ़ी तैयार कर रहे हैं जो अधिकारों की रक्षा करेगी और समाज में न्याय और समानता को मजबूत बनाएगी।”
उन्होंने आगे कहा,“विकसित भारत की दिशा में अग्रसर होते हुए यह समझना आवश्यक है कि भारत की सबसे बड़ी ताकत उसका युवा वर्ग है। आत्मनिर्भर भारत की भावना के साथ, हर युवा और हर महिला का योगदान एक प्रगतिशील और स्व-निर्भर राष्ट्र की नींव को मजबूत करता है। इसी विचार ने यशोदा AI की परिकल्पना को जन्म दिया, ताकि युवा और महिलाएँ AI के युग में जिम्मेदार नेतृत्व कर सकें।”
फ़्यूचर शिफ्ट लैब्स के संस्थापक श्री नितिन नारंग ने कहा, यशोदा AI केवल एक कार्यक्रम मात्र नहीं बल्कि यह भारत के युवाओं में डिजिटल क्षमता और नैतिक जागरूकता विकसित करने का राष्ट्रीय मिशन है। हमारा उद्देश्य है कि विद्यार्थी AI ज्ञान को जिम्मेदारी और सुरक्षित दृष्टिकोण के साथ अपनाएं ताकि वे भविष्य में ऐसे नेतृत्वकर्ता बन सकें जो एक जागरूक, समावेशी और सुरक्षित डिजिटल भविष्य का निर्माण करें। हम छात्रों को एक समावेशी और सुरक्षित डिजिटल भविष्य बनाने में सक्षम बनाना चाहते हैं।”
इंदौर में आयोजित यह कार्यक्रम यशोदा AI का पहला सत्र था, जिसने पूरे देश में डिजिटल साक्षरता और साइबर सुरक्षा को सुलभ बनाने के इसके मिशन को और गति दी।















