
नई दिल्ली : दिल्ली विधानसभा चुनाव में यमुना के प्रदूषण पर खूब चर्चा हुई। राजधानी में 27 साल बाद भाजपा सरकार बनने पर इस दिशा में काम भी शुरू किया गया। मशीनों के जरिये नदी से कूड़ा-कचरा निकाला जाने लगा।
उपराज्यपाल वीके सक्सेना ने तीन साल में यमुना को साफ रखने का लक्ष्य रखा है।
विशेषज्ञ मानते हैं कि तीन साल में यह लक्ष्य हासिल किया जा सकता है। बशर्ते इसके लिए सही दिशा में प्रयास किए जाएं। इन प्रयासों में वर्षा जल से स्थानीय जलस्रोतों पोखर, तालाब, झील को भरने के साथ भूजल में वृद्धि करना भी शामिल है।
सेंटर फार साइंस एंड एन्वायरमेंट (सीएसई) की ओर से 26 से 28 फरवरी तक अलवर के नीमली में हुए पर्यावरण सम्मेलन में विशेषज्ञों ने भी यमुना की सफाई और दिल्ली को वायु प्रदूषण से मुक्त किए जाने पर चर्चा की और इसके समाधान के बारे में भी बताया।

ऐसा नहीं है कि यमुना की सफाई के लिए यह कवायद पहली बार की जा रही है। पहले भी कई प्रयास हुए, लेकिन सफल नहीं हुए। नीमली में हुए सम्मेलन में सीएसई की वरिष्ठ कार्यक्रम प्रबंधक (वाटर एवं वेस्ट वाटर) सुष्मिता सेनगुप्ता ने इसका कारण भी बताया। कहा- यमुना इस वजह से साफ नहीं हो पा रही है क्योंकि उसमें कितना गंदा पानी जा रहा, इसका कोई प्रामाणिक आंकड़ा ही नहीं है।
तक साफ हो सकती है यमुना?
उन्होंने कहा कि जितना पानी सप्लाई होता है, उसका 80 प्रतिशत वेस्ट वाटर के रूप में निकलता है। पानी की सप्लाई की गणना शहर की आबादी के हिसाब से की जाती है, लेकिन दिल्ली की सही आबादी की जानकारी ही नहीं है। उन्होंने कहा कि पानी की गुणवत्ता के पिछले पांच वर्षों के आंकड़े बताते हैं कि यमुना की स्थिति बहुत गंभीर है।

आईटीओ पुल पर पहुंचते ही यह मृतप्राय हो जाती है। इसमें घुलित ऑक्सीजन की मात्रा नहीं मिलती है। यानी ऑक्सीजन शून्य है। किसी भी नदी की जीवनधारा के लिए घुलित ऑक्सीजन अनिवार्य है। उन्होंने कहा कि दिल्ली के किसी भी हिस्से में यमुना जल मनुष्यों के उपयोग के लायक नहीं है। यहां फीकल कालिफार्म की मात्रा भी मानक स्तर से कहीं ज्यादा है। इसकी बड़ी वजह दिल्ली के बड़े हिस्से में सीवरेज नेटवर्क नहीं होना है।
ये उपाय हों तो साफ हो सकती है यमुना

- सफाई के जो भी नियम बनाए जाएं, उनका सख्ती से पालन हो।
- राजधानी के भूजल स्तर को भी बढ़ाने के प्रयास किए जाएं।
- अपशिष्ट जल का सामुदायिक स्तर पर उपचार और पुन: उपयोग किया जाए।
- तालाब, पोखर और झील आदि को वर्षा जल से भरा जाए।
- नालों में भी प्रदूषण का भार बढ़ने लगा है, इसे रोकना होगा।
- घरों में पानी के उपयोग को कम करने की तकनीक को प्रोत्साहित किया जाए।










