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लखनऊ : IET लखनऊ में बौद्धिक संपदा अधिकार (Intellectual Property Rights – IPR) पर एक दिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया गया। यह कार्यशाला काउंसिल ऑफ साइंस एंड टेक्नोलॉजी उत्तर प्रदेश के सहयोग से आयोजित की। इस कार्यशाला का शुभआरंभ संस्थान के निदेशक प्रो विनीत कंसल ने दीप प्रजवलं से किया। प्रो कंसल ने भारत सरकार के विज़न 2047 पर छात्रों से चर्चा की और युवा सशक्तिकरण पर जोर देते नवाचार करने तथा नवाचार को पेटेंट करने के लिए उत्साहित किया।
कार्यक्रम के नोडल ऑफिसर डॉ प्रदीप कुमार ने बौद्धिक संपदा अधिकार के महत्वा को बताते हुए स्वागत उद्भोदन दिया। कार्यशाला का उद्देश्य बौद्धिक संपदा के विभिन्न पहलुओं पर जानकारी साझा करना था , जैसे पेटेंट, कॉपीराइट, ट्रेडमार्क और डिज़ाइन के अधिकार। इन अधिकारों के महत्व, उनके संरक्षण और कमर्शियल दृष्टिकोण से उनका उपयोग करने के तरीके पर विस्तृत में जानकारी दी गई।
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इस कार्यशाला में पांच प्रमुख विशेषज्ञों ने अलग अलग टॉपिक पर अपने ज्ञान और अनुभवों से प्रतिभागियों को लाभान्वित किया। कार्यक्रम का पहला सेशन डॉ आलोक गुप्ता (पेटेंट अटॉर्नी ) के द्वारा दिया गया। इस सेशन में बौद्धिक संपदा अधिकार तथा उनके अलग अलग आस्पेक्ट के बारे मे विस्तृत से जानकारी दी गयी। दूसरे सत्र के वक्ता श्री अभय द्विवेदी (पेटेंट अटॉर्नी ) रहे जिन्होंने पेटेंट और डिजाइन पेटेंट के ड्राफ्टिंग के बारे में विस्तृत जानकारी साझा की।
कार्यक्रम का तीसरा सत्र ट्रेडमार्क और कॉपीराइट के बारे में रहा, जिसके वक्ता श्री बलराम सिंह (पेटेंट अटॉर्नी) ने ट्रेडमार्क और कॉपीराइट के बारे में विस्तार से बताया। चौथे सत्र के वक्ता डॉ अरुण कुमार सिंह, डीन एकेडमिक्स राजकीय इंजीनियरिंग कॉलेज कन्नौज रहे जिन्होंने ऐकडेमिक में रिसर्च और नवाचार को संरक्षित करने के बारे में जानकारी दी।
कार्यक्रम का पांचवा और अंतिम सत्र महीप सिंह, हेड इनोवेशन हब के द्वारा दिया गया। महीप सिंह ने टेक्नोलॉजी ट्रांसफर एवं पेटेंट कमर्शियलाइजेशन के महत्व को बताया। महीप सिंह ने नवाचार कैसे करें उदहारण के साथ विस्तृत जानकारी साझा की। इस कार्यक्रम में 200 से अधिक प्रतिभागियों ने भाग लिया जिसमे से संस्थान के संकाय सदस्य, रिसर्च स्कोलर , स्टार्टअप तथा छात्र उपस्थित रहे।
कार्यशाला में सभी विशेषज्ञों ने अपने विशेष क्षेत्र में गहरी जानकारी साझा की और बौद्धिक संपदा अधिकारों को संरक्षित करने के तरीके पर व्यावहारिक दृष्टिकोण साझा किए। यह कार्यशाला संकाय सदस्य, रिसर्च स्कोलर , स्टार्टअप तथा छात्रों के लिए महत्वपूर्ण रही क्योंकि यह उन्हें अपने तकनीकी विचारों और नवाचारों को कानूनी तरीके से सुरक्षित करने के महत्व को समझने का अवसर प्रदान की।
कार्यक्रम का धन्यवाद प्रस्ताव डॉ पुष्कर त्रिपाठी, कन्वेनर आई आई सी ने दिया। संस्थान के निदेशक प्रो विनीत कंसल ने कार्यशाला के सफल आयोजन हेतु प्रो सीतालक्ष्मी के, अध्यक्ष आई आई सी, प्रो राम प्रवेश राम विभागाध्यक्ष केमिकल इंजीनियरिंग, कार्यक्रम के नोडल अफसर डॉ प्रदीप कुमार, कन्वेनर आई आई सी डॉ पुष्कर त्रिपाठी, मैनेजर संदीप कुमार तथा टीम के छात्रों को बधाई दी।