बड़ अमावस्या के दिन महिलाओं ने की वटवृक्ष पूजा

भास्कर समाचार सेवा
हाथरस/सासनी। हमारा भारत वर्ष संस्कृति और संस्कार का प्रमुख देश हैं जहां की संस्कृति महिलाओं में खास तौर से देखी जाती है। जो अपने बच्चों व पति की लंबी आयु के लिए लिए व्रत और पूजा अर्चना करने में सबसे पहले रहती है। आज वरगदाही अमावस्या के मौके पर महिलाओं ने सोलह श्रंगार कर वरगदाही अमावस्या का पर्व उत्साह और परंपरागत श्रद्धा भाव से मनाया। उन्होने वट वृक्ष का पूजन और परिक्रमा कर अपने पति की लंबी उम्र की कामना की। रविवार को वटवृक्ष की पूजा कर रही शशि शर्मा ने बताया कि ग्रामीण व शहरी अंचलों में सभी इस दिन वटवृक्ष के नीचे पूजा अर्चना करते है। मान्यता है कि बरगदाही अमावस्या पर्व दो बड़े संदेश, सावित्री के रुप में स्त्री सशक्तीकरण, बुद्धिमत्ता और दृढ़निश्चय का, जिसके समक्ष नतमस्तक होकर यमराज को भी पति सत्यवान को जीवनदान देना पड़ा। वहीं उन्होंने बताया कि दूसरा संदेश पर्यावरण के प्रति प्रत्येक व्यक्ति को प्रतिबद्धता का चिंतन करने का। इस पर्व पर वट वृक्ष (बरगद का पेड़) की पूजा का अर्थ यही है कि यदि वृक्षों का संरक्षण और नए पौधों का रोपण नहीं किया गया तो हमारी आने वाली पीढ़ियां शुद्ध वायु के लिए तरस जाएंगी। इसलिए हमें पर्यावरण के प्रति सचेत रहना चाहिए। वहीं छाया शर्मा ने वटवृक्ष की पूजा करते हुए वटवृक्ष के तने में धागा लपेटते हुए परिक्रमा लगाई और दुआएं मांगी, उन्होंने बताया कि इस पूजा अर्चना में भक्ति के साथ भारत की संस्कृति भी जुड़ी हैं, आने वाली पीढ़ी को हम क्या सीखा पाएंगे पूजा अर्चना के जरिये ही हम संस्कृति और संस्कार को जीवित रख सकते है।

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