महिला के साथ बरबरता! साड़ी चोरी के शक में पीटा; बाल पकड़कर घसीटा, लात-घूंसे मारे

Bengaluru : बेंगलुरु में एक शर्मसार कर देने वाली घटना सामने आई है, जहां एक कपड़ा दुकान के मालिक और उसके कर्मचारी ने एक 55 वर्षीय महिला के साथ बेरहमी से मारपीट की। यह घटना उस समय हुई, जब महिला पर दुकान से साड़ियों की चोरी का आरोप लगाया गया। वीडियो फुटेज और घटनाक्रम ने पूरे शहर में आक्रोश और नाराजगी की लहर दौड़ा दी है। इस घटना ने न केवल महिलाओं की गरिमा और सुरक्षा का सवाल उठाया है, बल्कि कानून व्यवस्था और सामाजिक न्याय के भी गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं।

मामला के.आर. मार्केट के पास स्थित माया सिल्क्स की है, जहां 44 वर्षीय दुकानदार उमेद राम और उसके 25 वर्षीय कर्मचारी महेंद्र सीरवी पर आरोप है कि उन्होंने 55 वर्षीय महिला हम्पम्मा के साथ बेरहमी से मारपीट की। महिला आंध्र प्रदेश के गुंटकल की रहने वाली है, और उस पर चोरी का आरोप था कि उसने 21 सितंबर को दुकान से साड़ियों का एक बंडल चुराया था।

महिला ने आरोप लगाया कि 20 सितंबर को वह साड़ियों देखने के बहाने दुकान में घुसी थी, और उस समय उसने एक साड़ी चुरा ली। अगले दिन, जब राम को चोरी का पता चला, तो उसने महिला को देखा और पकड़ लिया। इसके बाद, दोनों ने महिला के साथ नृशंस मारपीट की, जिसमें वह फुटपाथ पर गिर गई और राम ने उसे कई बार लातें मारीं। वीडियो में देखा जा सकता है कि महिला माफी मांगती हुई कह रही है कि उसने साड़ियां शराब खरीदने के लिए पैसे इकट्ठे करने के उद्देश्य से चुराई थीं।

घटना का वीडियो वायरल होने के बाद, सोशल मीडिया पर भारी गुस्सा फूट पड़ा है। लोग इस नृशंसता की निंदा कर रहे हैं, और प्रशासन से कड़ी कार्रवाई की मांग कर रहे हैं। कन्नड़ समर्थक संगठनों ने दुकान के सामने विरोध प्रदर्शन किया है, जिसमें उन्होंने घटना की निंदा करते हुए कहा कि यह महिलाओं की गरिमा का उल्लंघन है। इस घटना ने महिलाओं की सुरक्षा और सामाजिक न्याय के मुद्दों को फिर से उभार दिया है, जबकि पुलिस ने तुरंत कार्रवाई करते हुए दोनों आरोपियों को गिरफ्तार कर न्यायिक हिरासत में भेज दिया है।

पुलिस ने इस मामले में भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धाराओं के तहत मामला दर्ज किया है। आरोपियों पर धारा 74 (महिला की गरिमा भंग करने का इरादा और हमले), 115 (स्वेच्छा से चोट पहुंचाना), और अन्य संबंधित धाराओं के तहत कार्रवाई की गई है। पुलिस का कहना है कि उन्हें अभी तक महिला पर हुए हमले की जानकारी नहीं थी, और उन्होंने इस घटना को गंभीरता से लिया है।

यह घटना समाज में महिलाओं की सुरक्षा, न्याय और गरिमा की रक्षा के महत्व को फिर से उजागर करती है। अधिकतर मामलों में, जब महिला पर चोरी का आरोप होता है, तो समाज जल्दी से न्याय का हकदार बन जाता है, लेकिन इस घटना में पुलिस और सामाजिक संस्थान दोनों ने ही नृशंसता का सामना किया। यह घटना दर्शाती है कि कानून का पालन और सामाजिक जागरूकता कितनी जरूरी है।

साथ ही, यह भी जरूरी है कि कानून व्यवस्था को मजबूत करने के साथ-साथ, आम जनता में जागरूकता और संवेदनशीलता भी बढ़ाई जाए। महिलाओं के प्रति हिंसा और अत्याचार के खिलाफ कानूनी प्रावधान मजबूत होते हुए भी, समाज में बदलाव लाने की जिम्मेदारी सामाजिक, शिक्षा और प्रशासनिक संस्थानों की है।

बेंगलुरु की इस घटना ने फिर से स्पष्ट कर दिया है कि महिलाओं की गरिमा और सुरक्षा हमारी प्राथमिकता होनी चाहिए। दोषियों को कठोर सजा मिलनी चाहिए, और समाज में जागरूकता फैलाने की आवश्यकता है ताकि ऐसी घटनाओं का पुनरावृत्ति न हो। प्रशासन और समाज दोनों को मिलकर इस प्रकार की नृशंस घटनाओं को रोकने के लिए कदम उठाने होंगे। तभी हम एक सुरक्षित और समान समाज का निर्माण कर सकते हैं, जहां महिलाओं को सम्मान और सुरक्षा का अधिकार हो।

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