नया चलन गया है, संपन्न लोग सीधे कोर्ट क्यों आते हैं..? सुप्रीम कोर्ट के सवाल पर सिंघवी ने कहा- ED फंसा रही

Bhupesh Baghel Case : सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में आपराधिक मामलों में प्रभावशाली व्यक्तियों द्वारा सीधे उसके पास आने की प्रवृत्ति पर नाराजगी जताई है। छत्तीसगढ़ के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल और उनके बेटे चैतन्य बघेल से जुड़े एक मामले की सुनवाई के दौरान, अदालत ने उनसे पहले हाई कोर्ट जाने को कहा।

सुप्रीम कोर्ट ने कहा- ये नया चलन चल गया

जस्टिस सूर्यकांत और जायमाल्या बागची की पीठ ने पूछा कि जब हाई कोर्ट भी इन मुद्दों पर फैसला सुना सकता है, तो उनकी याचिकाओं पर सीधे सुप्रीम कोर्ट को क्यों विचार करना चाहिए। अदालत ने इसे एक “नया चलन” बताते हुए कहा कि जब कोई प्रभावशाली व्यक्ति सुप्रीम कोर्ट का रुख करता है, तो आम लोगों और उनके वकीलों के लिए जगह नहीं बचती। पीठ ने जोर देकर कहा, “वह भी संवैधानिक न्यायालय है और इस मुद्दे पर फैसला सुना सकता है… अन्यथा उन अदालतों का क्या फायदा?”

सिंघवी ने कहा- ED नामचीन लोगों को फंसा रही

भूपेश बघेल और उनके बेटे चैतन्य बघेल ने जांच एजेंसियों की कार्रवाई और मनी लॉन्ड्रिंग निवारण अधिनियम (PMLA) के प्रावधानों को चुनौती देते हुए सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी।

वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल और अभिषेक मनु सिंघवी ने उनकी ओर से दलीलें पेश कीं। उन्होंने कहा कि जांच एजेंसियां, जैसे कि प्रवर्तन निदेशालय (ED), पूरक आरोपपत्रों में नाम जोड़कर लोगों को फंसा रही हैं और गिरफ्तार कर रही हैं। सिब्बल ने कहा कि कई बार लोगों का नाम शुरुआती एफआईआर या आरोपपत्र में नहीं होता, लेकिन बाद में उन्हें गिरफ्तार कर लिया जाता है।

सिंघवी ने बताया कि चैतन्य बघेल का नाम पहले के दो-तीन आरोपपत्रों में नहीं था, लेकिन अचानक छापा पड़ने के बाद एक पूरक आरोपपत्र में उनका नाम आया और उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया।

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