
भारतीय इक्विटी बाज़ार में ध्यान आमतौर पर निफ्टी 50 पर केंद्रित रहता है—वे स्थापित ब्लू-चिप कंपनियां जो अर्थव्यवस्था की दिशा तय करती हैं। लेकिन इसके ठीक नीचे एक ऐसा वर्ग है जो आने वाले वर्षों में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है: निफ्टी नेक्स्ट 50। यह इंडेक्स उन कंपनियों को शामिल करता है जो निफ्टी 100 का हिस्सा हैं पर अभी शीर्ष 50 में प्रवेश नहीं कर पाई हैं। कई कंपनियां इसी समूह के माध्यम से आगे बढ़कर मुख्य इंडेक्स में शामिल होती रही हैं, जिससे इसकी प्रासंगिकता और बढ़ती है।
मजबूत संक्रमण का चरण
इस इंडेक्स में वे व्यवसाय शामिल हैं जो पैमाने पर बड़े हो चुके हैं लेकिन अभी भी तेज़ी से विस्तार कर रहे हैं। आकार और जोखिम के मामले में ये पारंपरिक मिड-कैप और बड़े कैप के बीच स्थित दिखाई देते हैं। यह समूह भारत के व्यापक आर्थिक विकास का एक विस्तृत चित्र प्रस्तुत करता है क्योंकि इसमें विनिर्माण, ऊर्जा, उपभोक्ता सेवाएं, केमिकल्स और कैपिटल गुड्स जैसे विविध क्षेत्रों का प्रतिनिधित्व है। निफ्टी 50 में निवेश करने वालों के लिए यह इंडेक्स एक संतुलित पूरक की भूमिका निभाता है।
आकर्षक वैल्यूएशन का संकेत
अक्टूबर 2025 के अनुसार निफ्टी नेक्स्ट 50 का P/E मल्टीपल 20.66 गुना है, जो इसके पांच-वर्षीय औसत 26.01 गुना से काफी कम है। इसके विपरीत निफ्टी 50 का P/E 22.64 गुना है, जो उसके दीर्घकालिक औसत से ऊपर है।
इसका अर्थ यह है कि वर्तमान समय में निफ्टी नेक्स्ट 50 निवेशकों को उच्च क्षमता वाली कंपनियों में अपेक्षाकृत सस्ता प्रवेश देता है। ऐसे समय में ETFs और इंडेक्स फंड्स के माध्यम से प्रवेश करने से एक बेहतर मार्जिन ऑफ सेफ़्टी मिलता है, जबकि इक्विटी बाज़ार की दीर्घकालिक वृद्धि का अवसर बरकरार रहता है।
स्वाभाविक विविधता और संतुलन
निफ्टी नेक्स्ट 50 की एक खासियत इसका संतुलित वेटेज स्ट्रक्चर है। शीर्ष पाँच कंपनियों का संयुक्त वज़न केवल 17.7% है, और सबसे बड़ी कंपनी की हिस्सेदारी लगभग 3.81% ही है। इससे यह सुनिश्चित होता है कि किसी एक कंपनी का प्रदर्शन पूरे इंडेक्स को भारी रूप से प्रभावित नहीं करता।
साथ ही यह उन क्षेत्रों को भी पर्याप्त स्थान देता है जो बड़े इंडेक्स में कम दिखाई देते हैं—जैसे पावर, कैपिटल गुड्स, केमिकल्स या कंज्यूमर सर्विसेज। यह विविधता उन निवेशकों के लिए उपयुक्त है जो व्यापक एक्सपोज़र और संतुलित इक्विटी आवंटन चाहते हैं।
ETF या इंडेक्स फंड—कौन सा रास्ता?
- ETF: शेयरों की तरह एक्सचेंज पर ट्रेड होते हैं। दिनभर खरीद-बिक्री की सुविधा उपलब्ध होती है। डिमैट खाता रखने वाले और इंट्राडे नियंत्रण चाहने वालों के लिए उपयुक्त विकल्प।
- इंडेक्स फंड: दिन में एक बार NAV के आधार पर लेनदेन होता है। SIP निवेशकों और सरल निवेश प्रक्रिया चाहने वालों के लिए बेहतर विकल्प।
दोनों ही संरचनाएं कम लागत पर दीर्घकालिक बाज़ार-आधारित रिटर्न प्राप्त करने का अवसर देती हैं।
वोलैटिलिटी और निवेश की अवधि
निफ्टी नेक्स्ट 50 में अल्पकालिक उतार-चढ़ाव निफ्टी 50 की तुलना में अधिक होता है क्योंकि इसकी कंपनियां आकार में छोटी और आय परिवर्तनों के प्रति संवेदनशील होती हैं। लेकिन लंबी अवधि में यही उतार-चढ़ाव बेहतर रिटर्न की संभावना भी बढ़ाता है—खासतौर पर जब इनमें से कई कंपनियां आगे चलकर मुख्य इंडेक्स का हिस्सा बनती हैं।
इसलिए निवेशकों के लिए इसे दीर्घकालिक परिप्रेक्ष्य से देखना अधिक उचित है।
पोर्टफोलियो में इसका उपयोग
निवेशक इसे SIP के ज़रिये इंडेक्स फंड में या सीधे ETF के माध्यम से पोर्टफोलियो में शामिल कर सकते हैं। यह निफ्टी 50 या किसी भी व्यापक इक्विटी फंड के साथ अच्छी तरह मेल खाता है।
रूढ़िवादी निवेशकों के लिए इसे शॉर्ट-ड्यूरेशन डेट फंड्स के साथ जोड़कर वोलैटिलिटी कम की जा सकती है। वहीं, लंबी अवधि के निवेशकों के लिए निफ्टी 50 और नेक्स्ट 50 का संयोजन पूरे बड़े-कैप अवसर सेट को कम लागत पर पकड़ने का एक व्यवहारिक तरीका है।
अनुशासन और धैर्य के साथ यह इंडेक्स आने वाले समय में संपत्ति निर्माण की गति को और मज़बूत कर सकता है।– चिंतन हारिया, प्रिंसिपल – इन्वेस्टमेंट स्ट्रैटेजी, आईसीआईसीआई प्रूडेंशियल म्यूचुअल















