
हमारे शरीर में होने वाले छोटे-छोटे बदलाव अक्सर बड़ी बीमारियों का संकेत होते हैं, जिन्हें नजरअंदाज करना भारी पड़ सकता है। शरीर को स्वस्थ बनाए रखने के लिए संतुलित खान-पान, दिनचर्या और नियमित जांच बेहद जरूरी है। लेकिन एक चीज़ है, जिस पर अक्सर लोग ध्यान नहीं देते – पेशाब (यूरिन) का रंग।
स्वास्थ्य विशेषज्ञों के अनुसार, पेशाब का रंग हमारी सेहत के बारे में कई अहम बातें बता सकता है। भोपाल स्थित अस्पताल में वरिष्ठ यूरोलॉजिस्ट डॉ. संतोष अग्रवाल बताते हैं कि यूरिन का रंग हमारी बॉडी का एक सीक्रेट हेल्थ कोड होता है, जो हमें अंदरूनी स्वास्थ्य की जानकारी देता है।
यूरिन कलर में बदलाव – किन बातों पर निर्भर करता है?
डॉ. संतोष के अनुसार पेशाब का रंग बदलने के पीछे तीन प्रमुख कारण हो सकते हैं:
- शरीर की हाइड्रेशन स्थिति – आप कितना पानी पी रहे हैं?
- कौन सी दवाएं ले रहे हैं? – कुछ दवाएं यूरिन का रंग बदल देती हैं।
- कोई गंभीर बीमारी तो नहीं? – खासकर किडनी या लीवर से जुड़ी समस्याएं।
1. हल्का पीला यूरिन – सामान्य स्थिति
- यह दर्शाता है कि शरीर अच्छी तरह से हाइड्रेटेड है।
- यदि आप पर्याप्त पानी पी रहे हैं तो यह सामान्य रंग होता है।
2. गहरा पीला या हल्का भूरा रंग – डिहाइड्रेशन का संकेत
- यह तब होता है जब आप कम पानी पीते हैं।
- गर्मी, पसीना या व्यायाम के दौरान अधिक पसीना बहने से भी हो सकता है।
- कुछ मल्टीविटामिन्स भी रंग गहरा कर सकते हैं।
3. बिलकुल साफ-सफेद यूरिन – अधिक पानी या डायबिटीज इन्सिपिडस का लक्षण
- बहुत अधिक पानी पीने से यूरिन का रंग साफ हो सकता है।
- लगातार साफ यूरिन आना डायबिटीज इन्सिपिडस का संकेत हो सकता है – एक ऐसी स्थिति जिसमें शरीर बार-बार यूरिन बनाता है।
4. लाल रंग का यूरिन – खतरे की घंटी
- यह किडनी स्टोन, प्रोस्टेट कैंसर या किडनी कैंसर का संकेत हो सकता है।
- हालांकि चुकंदर, ब्लूबेरी या दवाओं के सेवन से भी ऐसा हो सकता है, लेकिन अगर लगातार लाल रंग दिख रहा है तो डॉक्टर से मिलना जरूरी है।
यूरिन टेस्ट क्यों होता है जरूरी?
- पेशाब के जरिए शरीर के अपशिष्ट बाहर निकलते हैं, जिससे हमें शरीर की अंदरूनी स्थिति का पता चलता है।
- पेशाब का रंग, गंध, और उसमें झाग जैसी चीज़ें कई बीमारियों के संकेतक हो सकते हैं – जैसे कि यूटीआई, डायबिटीज, लीवर डिसऑर्डर, आदि।
✅ क्या करें? – स्वास्थ्य विशेषज्ञ की सलाह
- हर दिन पर्याप्त पानी पिएं (8–10 गिलास कम से कम)
- यूरिन के रंग पर नज़र रखें – कोई भी अप्राकृतिक बदलाव दिखे तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें
- हर साल नियमित हेल्थ चेकअप करवाएं
- संभव हो तो 6 महीने में एक बार यूरिन एनालिसिस कराएं