उत्तरकाशी में क्यों कहर बरसा रही कुदरत! 12 साल बाद फिर तबाही, तीन जगह फटे बादल, जानिए आसमानी आपदाओं की वजह

Uttarkashi Cloudburst : कहते हैं कुदरत की मार से कोई नहीं बच पाता है। 12 साल पहले उत्तराखंड के रुद्रप्रयाग में स्थित केदारनाथ में आसमान से कुदरती तबाही बरसी थी। जिसमें कई लोगों की जान चली गई थी। अब एक बार फिर उत्तरकाशी में कुदरत ने आसमान से कहर बरसाया, जिसमें चार लोगों की मौत हो गई। हर्षिल घाटी में तीन जगह बादल फटने से धराली में तबारी का मंजर देखा गया, जिसमें कई होटल, घर, आर्मी कैंप बह गए। पहाड़ों से ढेर सारा मलबा लेकर पानी का एक सैलाब आया महज 34 सेकेंड के अंदर पूरा गांव बहा ले गया। पानी तेज बहाव में बहने से और मलबे में दबने से 50 से अधिक लोग लापता बताए जा रहे हैं, जिसमें आर्मी कैंप के सैनिक भी शामिल हैं। आपदा के कई वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे हैं, जो हृदय विदारक घटना के खौफनाक मंजर को बयां कर रहे हैं।

उत्तरकाशी में क्यों बरसी आसमानी आपदा?

अब सवाल ये उठता है कि आखिर उत्तरकाशी में बादल क्यों फटे? दरअसल, उत्तराखंड के उत्तरकाशी जिले के धराली गांव में लगातार कई दिनों से बारी बारिश हो रही है। इस बीच पहाड़ों के बीच नालों में पानी ऊफान पर आ गया था। इसी बीच हर्षिल घाटी में तीन जगह बादल फटने से पानी का सैलाब उमड़ पड़ा और पूरे गांव को बहा ले गया। लेकिन क्या सच में बादल फटते हैं? इस सवाल का वैज्ञानिक जवाब है – नहीं। बादल भाप के गुबार होते हैं, जो सूरज की गर्मी के चलते समुद्र के ऊपर बनने वाली भाप से निर्मित होते हैं। बादल नम हवा का गुबार होता है जो अधिक भारी होने पर अचानक नीचे आते हैं और पहाड़ों से टकराकर तूफान बनकर बरसते हैं। इसे ही बादल फटना कहते हैं। इनकी गति 20 से 30 वर्ग किलोमीटर से अधिक होती है। यह घटना तब होती है जब एक घंटे या उससे अधिक समय तक 100mm से ज्यादा बारिश हो, तब आपदा आने की स्थित उत्पन्न हो जाती है।

उत्तरकाशी के हर्षिल घाटी में भी यही हुआ। जब घाटी में तीन जगह बादल पहाड़ों से टकाराएं तो बारी बारिश हुई और पानी चट्टानों से टकारते हुए नीचे आता रहा। पानी के तेज बहाव चट्टानें टूटकर मलबा भी पानी के साथ बहा। इससे धराली गांव में नाले में पानी ऊफान पर बहने लगा और पूरा गांव बहा ले गया।

मगर, सवाल ये उठता है कि जब उत्तराखंड में 12 साल पहले इससे बड़ी तबाही का मंजर पूरा देश देख चुका था, तब ऐसी घटनाओं के पुनरावृत्ति की आशंका पहले से ही बनी हुई थी। फिर राज्य प्रशासन से चूक कहां हुई?

बता दें कि बीते 28 जून को यमुनाघाटी के सिलाई बैंड क्षेत्र में बादल फटने सहित कुपड़ा गाड अतिवृष्टि के कारण उफान पर आ गई आई थी। इससे पहले उत्तराखंड में 12 साल पहले केदरानाथ में भयानक आपदा आई थी। यह सिलसिला हर साल प्राकृतिक आपदा के रूप में चलता आ रहा है। इसके बाद भी राज्य में अर्ली वार्निंग सिस्टम का विकास नहीं हो पाया है। उत्तरकाशी में पहाड़ों के किनारे रह रहें लोगों की जान-माल का खतरा बना हुआ है। हालांकि, केदारनाथ में आपदा आने के बाद इस मसले पर लंबी बहस भी हुई थी, लेकिन कोई भी हल नहीं निकल पाया था। वहीं, अब एक बार फिर यह मुद्दा गरमा गया है। क्या उत्तरकाशी के धराली व आसपास इलाकों लोगों का रहना सुरक्षित है? प्रसाशन द्वारा आपदाओं के निपटने के लिए पहले से कोई व्यवस्था विकसित की जाएगी?

यह भी पढ़े : Uttarakhand : धराली में राहत और बचाव अभियान जारी, शासन ने जारी किए 20 करोड़, राज्य में बारिश का ऑरेंज व यलो अलर्ट जारी

खबरें और भी हैं...

अपना शहर चुनें

तारा – वीर ने सोशल मीडिया पर लुटाया प्यार थाईलैंड – कंबोडिया सीमा विवाद फिर भडका तेजस्वी के खिलाफ बोल रहे थे विजय सिन्हा, तभी दे दिया जवाब ‘मारो मुझे मारो… दम है तो मारो लाठी…’ पेट्रोल पंप पर महिला का हाई वोल्टेज ड्रामा, वीडियो वायरल