
नई दिल्ली : जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हाल ही में हुए आतंकी हमले के बाद, ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (AIMIM) प्रमुख और हैदराबाद से सांसद असदुद्दीन ओवैसी की राजनीतिक छवि में एक बड़ा और अप्रत्याशित परिवर्तन देखा गया है। जहां पहले उन्हें ऑल-पार्टी बैठक से बाहर रखे जाने पर नाराजगी जताते देखा गया था, वहीं अब वे भारत द्वारा चलाए गए ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के सबसे मुखर समर्थकों में शामिल हो गए हैं।
पाकिस्तान को बताया “आतंकवाद का प्रायोजक”
पहलगाम हमले में निर्दोष नागरिकों की हत्या के बाद ओवैसी ने पाकिस्तान पर तीखा हमला बोला। उन्होंने कहा कि “पाकिस्तान एक झूठ पर खड़ा राष्ट्र है जो दशकों से आतंकवाद को संरक्षण देता आ रहा है।” उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि पाकिस्तान का यह दावा कि वह वैश्विक मुसलमानों का प्रतिनिधित्व करता है, पूरी तरह से निराधार है। “भारत के 20 करोड़ मुसलमान यहां संविधान और कानून के तहत सुरक्षित हैं और उन्हें पाकिस्तान जैसे आतंक समर्थक देश की कोई जरूरत नहीं,” उन्होंने जोड़ा।
‘ऑपरेशन सिंदूर’ को बताया न्याय की कार्रवाई
भारतीय सेना द्वारा आतंकी ठिकानों पर की गई जवाबी कार्रवाई—‘ऑपरेशन सिंदूर’—के समर्थन में ओवैसी ने कहा कि यह बदले की नहीं बल्कि न्याय की कार्रवाई है। उनका कहना था कि “पाकिस्तान की आतंकी संरचना को तबाह करना जरूरी है ताकि भविष्य में ऐसे हमलों की पुनरावृत्ति न हो सके।”
अंतरराष्ट्रीय मंचों पर उठाएंगे भारत की बात
ओवैसी अब भारत की विदेश नीति और राष्ट्रीय सुरक्षा मामलों में सक्रिय भूमिका निभाने जा रहे हैं। वे जल्द ही एक अंतरराष्ट्रीय प्रतिनिधिमंडल के साथ यूरोप और खाड़ी देशों की यात्रा पर जाएंगे। इसमें यूके, फ्रांस, जर्मनी, इटली और डेनमार्क जैसे देश शामिल हैं। इसके अलावा, वे सऊदी अरब, कुवैत, बहरीन और अल्जीरिया में भी भारत का पक्ष मजबूती से रखेंगे।
इस यात्रा का उद्देश्य पाकिस्तान के आतंकवादी नेटवर्क के मानवीय और आर्थिक प्रभाव को उजागर करना है, ताकि वैश्विक समुदाय भारत के रुख को बेहतर समझ सके।
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ओवैसी की बदली रणनीति पर विश्लेषकों की नज़र
राजनीतिक विश्लेषकों के अनुसार, यह बदलाव सिर्फ प्रतिक्रिया नहीं बल्कि राष्ट्रीय राजनीति में ओवैसी की भूमिका का विस्तार भी है। उनका यह रुख भारतीय मुसलमानों के साथ खड़े होने और पाकिस्तानी प्रोपेगेंडा के खिलाफ स्पष्ट संदेश के रूप में देखा जा रहा है।