आखिरकार क्यों इस शहर पर कब्जा करना चाहती हैं पुतिन की सेना, क्या कुछ होने वाला है बड़ा

ज्यादातर आबादी रुस की समर्थक

मास्को । तीन साल पहले फरवरी में रूस और यूक्रेन के बीच शुरू हुई जंग अभी जारी है। बीच-बीच में लड़ाई धीमी पड़ती है, लेकिन हाल में रूस के अटैक में काफी तेजी आई। उसकी सेना के निशाने पर पोक्रोवस्क शहर है। इस शहर सहित एक पूरा क्षेत्र लंबे समय से रूसी सेना की प्राथमिकता रहा, जिससे यूक्रेन पर उनकी पकड़ मजबूत हो सके।

पोक्रोवस्क शहर की स्थिति सामरिक तौर पर काफी अहम बना देती है। ये इलाका रसद की आपूर्ति के लिए सेंटर पॉइंट का काम करता है। इसके बाद अगर ये शहर रूसी आर्मी के कब्जे में आ गया, तब एक बड़ा किला फतह होगा। लेकिन इसपर काबू पाने की कोशिश के पीछे एक बड़ा कारण और भी है। इस शहर और आसपास के बड़े इलाके में रूस समर्थक लोग बसते हैं, जो खुद को यूक्रेन से अलग मानते है।
पोक्रोवस्क यूक्रेन के पूर्वी क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण सड़क और रेल केंद्र रहा। लड़ाई से पहले क्षेत्र की आबादी करीब साठ हजार थी, जो अब घटते हुए दस हजार बची है। शहर का महत्व इसलिए भी बेहद ज्यादा है क्योंकि ये आपूर्ति मार्ग की तरह काम करता रहा ये शहर एक तरह का गढ़ रहा, जहां से बैठकर यूक्रेन की सेना लड़ाई में टूट चुके शहरों तक जरूरी चीजों की आपूर्ति करती। शहर यूक्रेन के उस भाग में आता है, जिसे डोनेट्स्क कहते हैं। रूस के बॉर्डर पर बसा होने की वजह से इसका रणनीतिक महत्व काफी अधिक है।

डोनेट्स्क क्षेत्र में रशियन बोलने वालों का प्रतिशत ज्यादा है जो खुद को रूस के करीब मानते हैं। डोनेट्स्क की लगभग 75 फीसदी जनसंख्या रूसी बोलती है। वे कल्चरली भी रूस से जुड़े हुए हैं। साल 2014 में रूस-यूक्रेन संघर्ष के पहले यहां के लोग रूस के साथ अच्छे संबंध बनाए रखने की वकालत करते रहे है। हालांकि संघर्ष के बाद दोनों देशों की दूरियां बढ़ीं, इस दौरान इस पूरे इलाके के लोग रूस से और भी ज्यादा जुड़ने लगे। साल 2014 में क्रीमिया के रूस में विलय के बाद यहां के लोग खुलकर मॉस्को के सपोर्ट में आ गए। यूक्रेनी सेना और रूसी सपोर्टरों के बीच भारी जंग भी हो चुकी।

यहां कई अलगाववादी गुट हैं, जो रूस के पक्ष में आंदोलन चलाते हैं। डोनेट्स्क, जिसमें पोक्रोवस्क शहर भी आता है, के अलावा एक और इलाका लुहान्स्क भी रूस का समर्थन करने वाले अलगाववादियों से भरा हुआ है। यहां एक जनमत संग्रह भी हुआ, जिसमें 80 फीसदी से ज्यादा आबादी ने अपने अलग रिपब्लिक की बात की। वहीं रूस ने मौके देखकर डोनेट्स्क और लुहान्स्क को औपचारिक तौर पर यूक्रेन से अलग मान्यता दे दी। अब युद्ध के दौरान ये जरूरी इलाके और संवेदनशील हो चुके।

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