
तेल अवीव। इज़राइली डिफेंस फोर्सेज (आईडीएफ) ने गाज़ा युद्ध की आलोचना करने वाले करीब 1000 रिज़र्व सैनिकों को बर्खास्त कर दिया है। यह इज़राइली सेना में अब तक की सबसे बड़ी बर्खास्तगी मानी जा रही है, जो युद्ध के खिलाफ सार्वजनिक रूप से बोलने की वजह से हुई है।\
जानकारी अनुसार जिन सैनिकों को बड़ी संख्या में बर्खास्त किया गया दरअसल इन सैनिकों ने सरकार के नाम एक सार्वजनिक पत्र लिखा था। इस पत्र में कहा गया था कि गाज़ा में जारी जंग अब सैन्य नहीं, बल्कि राजनीतिक मकसदों की पूर्ति कर रही है। उन्होंने युद्धविराम की मांग करते हुए कहा कि, यह लड़ाई न तो बंधकों को छुड़ा पा रही है और न ही हमास को खत्म कर रही है। इसके चलते सैनिक, बंधक और आम नागरिक मारे जा रहे हैं। इस सार्वजनिक पत्र पर सैकड़ों रिटायर्ड अफसरों और वायुसेना के रिज़र्व कर्मियों ने दस्तखत किए थे, जिसमें प्रसिद्ध रिज़र्व नेविगेटर अलोन गुर का नाम भी शामिल है।
इससे नाराज नेतन्याहू सरकार ने एक हजार रिजर्व सैनिकों को बर्खास्त कर दिया। आईडीएफ के प्रवक्ता ने कहा कि यह बयानबाज़ी सैन्य अनुशासन और एकता के खिलाफ है। हमारी प्राथमिकता देश की सुरक्षा है। जब हम कई मोर्चों पर जूझ रहे हैं, तब ऐसे सार्वजनिक बयानों से हमारी एकता और सैन्य नीति कमजोर होती है। सेना प्रमुख ईयार जमीर और वायुसेना नेतृत्व ने यह निर्णय लिया।
कार्रवाई की आलोचना
तेल अवीव में प्रदर्शन कर रहे कार्यकर्ता योआव लेवी ने इस कार्रवाई की आलोचना करते हुए कहा, ये सैनिक सही कह रहे थे। युद्ध 18 महीने से चल रहा है और 59 बंधक अब भी गाज़ा में फंसे हैं।
यहां बताते चलें कि हाल ही में हुए एक सर्वेक्षण में 70 फीसदी इज़राइली नागरिकों ने बंधकों की रिहाई के लिए सीजफायर का समर्थन किया है, जबकि प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू का रुख साफ है – जब तक हमास पूरी तरह खत्म नहीं हो जाता, जंग जारी रहेगी। ऐसे में उन्हें अपने ही देश में विरोध का सामना भी करना पड़ रहा है।