
Food Poisoning Symptoms : उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ के मड़ियांव क्षेत्र में राष्ट्र प्रेरणा स्थल के पास भेड़ों की अचानक और रहस्यमयी मौत ने न सिर्फ पशु स्वास्थ्य बल्कि इंसानी स्वास्थ्य पर भी गंभीर सवाल खड़ा कर दिया है। अब तक आधिकारिक तौर पर 71 भेड़ों की मौत की पुष्टि हो चुकी है, जबकि करीब 70 भेड़ें बीमार हैं।
पशुपालकों का दावा है कि इन आंकड़ों में वृद्धि हो सकती है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने इस मामले की जांच के आदेश दिए हैं और मृत भेड़ों के मालिकों को प्रति भेड़ 10,000 रुपये का मुआवजा देने की घोषणा भी की है।
पूरा मामला क्या है?
मड़ियांव के पशुपालकों का आरोप है कि 25 दिसंबर को एक बड़े कार्यक्रम के बाद बचा हुआ खाना खुले मैदान में फेंक दिया गया, जिसे भेड़ें खा गईं। इसके तुरंत बाद ही भेड़ों में उल्टी, दस्त, बेचैनी, कमजोरी और अचानक गिरने जैसी शिकायतें शुरू हुईं और धीरे-धीरे एक-एक कर उनकी मौत होने लगी।
मुख्य पशु चिकित्सा अधिकारी डॉ. सुरेश कुमार के मुताबिक प्रारंभिक संकेत इस बात की ओर इशारा कर रहे हैं कि ये मामला संभवतः जहरीले पदार्थ या फूड पॉइजनिंग का है, लेकिन असली कारण पोस्टमार्टम और लैब रिपोर्ट के बाद ही स्पष्ट होगा।
डॉक्टर क्या कहते हैं? बासी खाना इंसानों के लिए कितना खतरनाक?
स्वास्थ्य विशेषज्ञों के अनुसार, बासी, सड़ा या खुले में रखा भोजन न केवल जानवरों के लिए बल्कि इंसानों के लिए भी बेहद खतरनाक हो सकता है। ऐसे भोजन में सैल्मोनेला, ई.कोलाई, क्लॉस्ट्रिडियम जैसे बैक्टीरिया तेजी से पनपते हैं। ये बैक्टीरिया फूड पॉइजनिंग, तेज बुखार, उल्टी-दस्त, पेट में ऐंठन और डिहाइड्रेशन जैसी समस्याएं उत्पन्न कर सकते हैं। गंभीर मामलों में यह लिवर और किडनी को भी नुकसान पहुंचा सकते हैं।
डॉक्टर बाबूलाल सैनी के अनुसार, यदि भोजन लंबे समय तक खुले में रहा हो, उस पर मक्खियां बैठी हों या वह नमी-गर्मी में पड़ा हो, तो उसमें टॉक्सिन बन सकते हैं। इन्हें दोबारा गरम करने से भी इन बैक्टीरिया और टॉक्सिन का प्रभाव खत्म नहीं होता। कमजोर इम्यूनिटी वाले लोग, बच्चे और बुजुर्ग ऐसे खाने से तुरंत बीमार हो सकते हैं।
इंसानों तक खतरा कैसे पहुंच सकता है?
यह मामला इसलिए भी संवेदनशील है क्योंकि बीमार या मृत पशुओं से निकलने वाले रोगाणु आसपास के पानी, मिट्टी और हवा को दूषित कर सकते हैं। इससे ज़ूनोटिक बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है, जो जानवरों से इंसानों में फैल सकते हैं। खुले में पड़े शव संक्रमण फैलाने, दुर्गंध और मक्खियों, आवारा जानवरों के जरिए बीमारियों के प्रसार का कारण बन सकते हैं।
डॉक्टर की सलाह: बासी खाना कभी न खाएं
डॉक्टर बाबूलाल सैनी ने चेतावनी देते हुए कहा है कि बासी खाना इंसानों के लिए बहुत खतरनाक हो सकता है, खासकर जब वह भोजन लंबे समय तक खुले में पड़ा हो या सही तापमान पर स्टोर न किया गया हो। उन्होंने कहा कि पका हुआ खाना जल्दी खराब हो जाता है क्योंकि उसमें नमी और गर्मी की वजह से बैक्टीरिया तेजी से पनपते हैं। ऐसे खाद्य पदार्थों में सैल्मोनेला, ई.कोलाई और क्लॉस्ट्रिडियम जैसे जीवाणु हो सकते हैं, जो गंभीर फूड पॉइजनिंग, लिवर और किडनी की समस्या पैदा कर सकते हैं।
उनका कहना है कि यदि भोजन देखने या सूंघने में सामान्य लगे, तो भी उसमें मौजूद टॉक्सिन शरीर को अंदर से नुकसान पहुंचा सकते हैं। इसलिए, सेहत के लिए बेहतर है कि ताजा खाना ही खाएं या सही तरीके से स्टोर करें, ताकि गंभीर बीमारियों से बचा जा सके।
क्या-क्या नहीं खाएं बासी?
डॉक्टर बाबूलाल सैनी ने विशेष रूप से चेतावनी दी है कि पका हुआ चावल, दालें (मूंग, चना, राजमा, मसूर), दही, पकी हुई सब्जियां, पालक, मेथी जैसी हरी पत्तेदार सब्जियां, कटे हुए फल, अंकुरित दाल, उबले अंडे, मछली, चिकन और मांस, चावल से बनी डिशें (फ्राइड राइस, पुलाव), ग्रेवी वाली सब्जियां, मशरूम और स्ट्रीट फूड जैसे चाट, पानी पूरी, को बासी हालत में कभी न खाएं।
उन्होंने कहा कि इन खाद्य पदार्थों में बैक्टीरिया बहुत जल्दी पनपते हैं, और दोबारा गरम करने से भी इन बैक्टीरिया का प्रभाव खत्म नहीं होता। सेहत का समझौता करना बेहतर नहीं है, इसलिए ताजा और सही तरीके से स्टोर किए गए भोजन का ही सेवन करें।
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