
Bihar Election 2025 : बिहार चुनाव-2025 में इस बार मुस्लिम वोटर्स भी अहम भूमिका निभाएंगे। खासकर बिहार के सीमांत क्षेत्र- किशनगंज, कटिहार, पूर्णिया और अररिया सीटों पर मुस्लिम मतदाताओं का ज्यादा प्रभाव देखा जा सकता है। यहां मुस्लिम मतदाताओं की संख्या 60 से 80 विधानसभा सीटों पर प्रभाव डालती है।
बता दें कि मुस्लिम वोट “MY” (मुस्लिम-यादव) समीकरण के आधार पर आरजेडी जैसी पार्टियों को मजबूत बनाते आए हैं। 2014 के बाद भाजपा के उदय से यह वोट रणनीतिक रूप से हिंदुत्व-विरोधी गठबंधनों की ओर खिसक गए हैं। 2020 में महागठबंधन को 62% मुस्लिम समर्थन मिला था, लेकिन वोट बंटवारे (जैसे एआईएमआईएम ने 10-15% वोट काटे) ने एनडीए को फायदा पहुंचाया।
वहीं बात करें कि इस साल, 2025 के चुनाव में मुख्य मुद्दों की, तो सांप्रदायिक ध्रुवीकरण, विकास, रोजगार, शिक्षा, महिला सशक्तिकरण पर प्रचार अधिक हो रहा है। महागठबंधन और एनडीए, दोनों ने ही अपने-अपने मेनिफेस्टो में भर-भर कर नौकरी बांटने का दावा किया है।
मुस्लिम मतदाता किसे समर्थन देंगे?
ये वोट महागठबंधन (आरजेडी-कांग्रेस-वाम दल) को समर्थन देंगे, जो एनडीए (भाजपा-जेडीयू) के खिलाफ एकजुटता का प्रतीक है।
RJD – 2014 में 32%, 2020 में 62% मुस्लिम वोट मिले थे। सीमांचल में विशेष रूप से मजबूत है। मुस्लिम-यादव गठबंधन पर टिकी है, और 2020 में 8 मुस्लिम विधायक जीते।
कांग्रेस – 12-19% समर्थन, 2020 में 4 मुस्लिम विधायक जीतने में कामयाब रही।
पसमांडा मुस्लिम – समुदाय का करीब 67% समर्थन, जेडीयू की पिछड़ी जाति कल्याण और जाति जनगणना की वकालत से आकर्षित हो सकते हैं, लेकिन भाजपा गठबंधन के कारण समर्थन सीमित (लगभग 14%)।
युवा और शहरी मतदाता (18-35 आयु वर्ग) नौकरियों, शिक्षा और बाढ़ राहत पर ध्यान केंद्रित कर रहे हैं। प्रशांत किशोर की ‘जन सुराज’ को 5-10% वोट मिल सकते हैं, जो 40 मुस्लिम उम्मीदवारों के जरिए अपना प्रभाव कायम कर रहा है।
अगर मुस्लिम वोट 80-90% एकजुट रहते हैं, तो महागठबंधन को 20-30 अतिरिक्त सीटें मिल सकती हैं, खासकर 24 मुस्लिम बहुल सीटों पर।
मुस्लिम वोटर्स किसका बिगाड़ेंगे खेल?
NDA (BJP-JDU) – एनडीए के भाजपा और जदयू दलों को मुस्लिम वोटर्स का समर्थन मिल सकता है।
AIMIM – 2020 में 5 सीटें जीतीं थीं, जो महागठबंधन को 10-15 सीटें गिराने में मददगार साबित हुईं। 2025 में यह क्षेत्रीय उपेक्षा के नाम पर 32-64 सीटों पर लड़ रही है, और 10-15% वोट काट सकती है।
जन सुराज – 5-10% युवा मुस्लिम वोट को आकर्षित कर सकती है, लेकिन ऊपरी जाति की छवि और क्षेत्रीय उपेक्षा के कारण समर्थन सीमित हो सकता है।
बिहार में किन दलों को कितना मिल सकता है मुस्लिम वोटर का समर्थन?
| गठबंधन/पार्टी | मुस्लिम समर्थन (%) | प्रमुख प्रभावित क्षेत्र | संभावित सीटें (2025 अनुमान) | मुस्लिम विधायक (2020 में) | 
|---|---|---|---|---|
| महागठबंधन (आरजेडी-कांग्रेस-वाम) | 70-80% | सीमांचल (24 सीटें), उत्तर बिहार | 100-120 (एकजुट वोट से +20-30) | 13 | 
| एनडीए (भाजपा-जेडीयू) | 10-20% (मुख्यतः जेडीयू) | पूर्णिया, अररिया, कटिहार | 110-130 (वोट बंटवारे से फायदा) | 0 | 
| एआईएमआईएम | 10-15% | सीमांचल (5-7 सीटें) | 2-5 | 5 | 
| जन सुराज | 5-10% | शहरी/युवा केंद्र | 10-20 | – | 
| अन्य (बसपा आदि) | 5% | छिटपुट | 5-10 | 1 | 
मुस्लिम मतदाता महागठबंधन को मजबूत बनाएंगे, लेकिन बंटवारा एनडीए का खेल बिगाड़ने के बजाय उल्टा फायदा पहुंचा सकता है। 2024 लोकसभा में 80-90% एकजुटता से इंडिया गठबंधन को 9 सीटें मिलीं, वही ट्रेंड 2025 में दोहराया जाए तो विपक्षी मोर्चा मजबूत होगा। अंततः, शांति, विकास और प्रतिनिधित्व के मुद्दे निर्णायक होंगे।
बिहार में एनडीए को न्यूनतम समर्थन (2020 में 0 मुस्लिम विधायक) मिला, लेकिन गैर-मुस्लिम वोटों की एकजुटता से 51 मुस्लिम-प्रभावित सीटों में से 35 जीतीं। मुस्लिम असंतोष जेडीयू को भी नुकसान पहुंचा सकता है, क्योंकि नीतीश कुमार को “बफर” मानने वाले वोट कम हो रहे हैं। वोट बंटवारे से महागठबंधन कमजोर हो सकता है और एनडीए को संकीर्ण बहुमत मिल सकता है। इस चुनावी खेल में मुस्लिम वोट निर्णायक भूमिका निभा सकते हैं और यह तय कर सकते हैं कि किसकी जीत होगी?
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