वायुसेना प्रमुख से मीटिंग के पीछे क्या है मोदी सरकार की रणनीति ? क्या होने वाला है कुछ बड़ा एक्शन

पहलगाम में 22 अप्रैल को हुए आतंकी हमले के बाद भारत की सामरिक प्रतिक्रिया के संकेत और तेज़ हो गए हैं. इस हमले में मारे गए 26 नागरिकों में से अधिकतर पर्यटक थे, जो घाटी की खूबसूरती का आनंद लेने आए थे. इस वीभत्स हमले ने न केवल घाटी की शांति को झकझोर दिया बल्कि राष्ट्रीय सुरक्षा पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं. अब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हाल ही में वायुसेना प्रमुख एयर चीफ मार्शल एपी सिंह से मुलाकात की है. यह मुलाकात इस लिहाज़ से भी अहम है कि इससे पहले वे थलसेना प्रमुख और नौसेना प्रमुख से भी अलग-अलग चर्चा कर चुके हैं.

 प्रधानमंत्री और वायुसेना प्रमुख की यह वन-टू-वन मीटिंग आधिकारिक रूप से गोपनीय रखी गई, लेकिन यह स्पष्ट है कि बातचीत का केंद्रबिंदु पहलगाम आतंकी हमले के बाद की सैन्य तैयारी और संभावित जवाबी कार्रवाई पर रहा होगा. इसी सप्ताह पीएम मोदी ने रक्षा मंत्री, राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार और तीनों सेनाओं के प्रमुखों के साथ उच्च स्तरीय बैठक की थी, जिसमें उन्होंने स्पष्ट निर्देश दिया था कि सेनाओं को जवाबी कार्रवाई के लिए पूरी ‘ऑपरेशनल फ्रीडम’ दी गई है. 

वायुसेना की तरफ है भारत की निगाहें

बालाकोट एयरस्ट्राइक की तरह, इस बार भी भारत की निगाहें वायुसेना की तरफ हैं. 2019 में पुलवामा हमले के बाद जिस तरह से मिराज-2000 विमानों ने पाकिस्तान के भीतर आतंकी ठिकानों को नष्ट किया था, उसी रणनीति की पुनरावृत्ति की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता. खास बात यह है कि बालाकोट के बाद भारतीय वायुसेना को राफेल जैसे एडवांस्ड फाइटर जेट मिले हैं, जिनकी मारक क्षमता और सटीकता बहुत अधिक है.

सोशल मीडिया अकाउंट्स हुआ बैन

वायुसेना के अलावा भारत ने पाकिस्तान पर कूटनीतिक दबाव बनाने की भी शुरुआत कर दी है. सिंधु जल संधि के कुछ प्रावधानों को निलंबित करने की प्रक्रिया इसी दिशा में देखा जा रहा है. साथ ही, पाकिस्तानी सोशल मीडिया अकाउंट्स और यूट्यूब चैनलों पर पाबंदियां लगाकर डिजिटल मोर्चे पर भी जवाब दिया गया है. 

पाकिस्तान को दी गई चेतावनी

पिछले कुछ वर्षों में भारत ने पाकिस्तान प्रायोजित आतंकवाद के खिलाफ निर्णायक और आक्रामक रणनीति अपनाई है. उरी, सर्जिकल स्ट्राइक और पुलवामा-बालाकोट के बाद यह साफ है कि भारत अब केवल बयानबाजी पर नहीं, बल्कि ठोस कार्रवाई के सिद्धांत पर आगे बढ़ रहा है. प्रधानमंत्री मोदी के ‘पृथ्वी के अंतिम छोर तक लड़ाई ले जाने’ जैसे तीखे बयान को पाकिस्तान के लिए चेतावनी माना जा रहा है.

माकूल जवाब की चल रही तैयारी

जनता और राजनीतिक नेतृत्व दोनों ही अब निर्णायक कार्रवाई की मांग कर रहे हैं. पहलगाम हमले के बाद देश के भीतर आक्रोश स्पष्ट है और सरकार के हर स्तर पर एक संगठित जवाब की तैयारी चल रही है. हालांकि अभी तक किसी प्रकार की सैन्य कार्रवाई की सार्वजनिक पुष्टि नहीं की गई है, लेकिन सैन्य गतिविधियों और उच्च स्तरीय बैठकों की श्रृंखला यह संकेत दे रही है कि कुछ बड़ा फैसला जल्द आ सकता है. 

ऐसे समय में जब घाटी फिर से अशांति की ओर बढ़ रही है और पाकिस्तान समर्थित आतंकी तत्व सक्रिय हो रहे हैं, भारत का रणनीतिक रुख स्पष्ट रूप से आक्रामक है. प्रधानमंत्री मोदी द्वारा लगातार सेनाध्यक्षों से मिलना और परिचालन स्वतंत्रता का निर्देश देना यह साबित करता है कि भारत अब पुराने ढर्रे पर नहीं लौटेगा. सवाल अब यह नहीं कि भारत जवाब देगा या नहीं, सवाल यह है कि जवाब कब और कैसे आएगा?

रोक दिया चिनाब नदी का जल प्रवाह

भारत ने पहलगाम आतंकी हमले के बाद पाकिस्तान पर दबाव बढ़ाने की रणनीति के तहत सिंधु जल संधि को आंशिक रूप से निलंबित करते हुए बगलिहार बांध से चिनाब नदी का जल प्रवाह रोक दिया है. मामले से जुड़े सूत्रों ने बताया कि यह कदम भारत की ओर से एक निर्णायक कूटनीतिक संकेत के रूप में देखा जा रहा है. जम्मू के रामबन जिले में स्थित बगलिहार बांध और उत्तर कश्मीर के किशनगंगा बांध जैसे प्रमुख पनबिजली परियोजनाएं भारत को इस बात की तकनीकी शक्ति देती हैं कि वह कब और कितना पानी छोड़े. यानी पड़ोसी देश को पानी के प्रवाह पर निर्भरता के मामले में नई चुनौती दी जा सकती है.

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