
कार्तिक पूर्णिमा हिंदू धर्म का एक अत्यंत महत्वपूर्ण पर्व है, जिसे देव दीपावली के नाम से भी जाना जाता है। यह पर्व कार्तिक माह की पूर्णिमा तिथि को मनाया जाता है, जो इस वर्ष 15 नवम्बर 2024 को पड़ रही है। इस दिन का विशेष धार्मिक महत्व है और यह विशेष रूप से पुण्य लाभ, मोक्ष और आत्मिक शुद्धि के लिए मनाया जाता है।
कार्तिक पूर्णिमा का महत्व
कार्तिक पूर्णिमा का दिन चंद्रमा की पूर्णिमा तिथि पर होता है, जब चंद्रमा की किरणें पृथ्वी पर चांदी जैसी चमक बिखेरती हैं, जिससे वातावरण में दिव्यता का अनुभव होता है। मान्यता है कि इस दिन देवता स्वर्ग से पृथ्वी पर आते हैं और अपने भक्तों को आशीर्वाद देते हैं। इसलिए इसे देव दीपावली कहा जाता है, जिसका अर्थ है “देवताओं की दीपावली”, जो अंधकार पर प्रकाश की विजय का प्रतीक है। इस दिन को ज्ञान और मोक्ष का प्रतीक माना जाता है।
इस दिन विशेष रूप से स्नान, दान और पूजा का महत्व है। मान्यता है कि इस दिन इन कर्मों को करने से व्यक्ति के सभी पाप समाप्त हो जाते हैं और उसे विशेष पुण्य की प्राप्ति होती है। साथ ही, यह दिन साधना, ध्यान और प्रभु आराधना के लिए भी उपयुक्त माना जाता है।
गंगा स्नान का महत्व
कार्तिक पूर्णिमा के दिन गंगा नदी में स्नान करने का विशेष महत्व है। इसे गंगा स्नान कहा जाता है, और माना जाता है कि इस दिन गंगा में स्नान करने से व्यक्ति के सभी पाप धुल जाते हैं और उसकी आत्मा शुद्ध हो जाती है। गंगा को हिंदू धर्म में सबसे पवित्र नदी माना जाता है और विशेष रूप से कार्तिक पूर्णिमा के दिन गंगा में स्नान करने से मोक्ष की प्राप्ति होती है।
गंगा स्नान का शुभ मुहूर्त
स्नान-दान का शुभ मुहूर्त 15 नवंबर को सुबह 04 बजकर 58 मिनट से लेकर सुबह 05 बजकर 51 मिनट तक रहेगा. सुबह 06 बजकर 44 मिनट से लेकर सुबह 10 बजकर 45 मिनट तक सत्यनारायण पूजा का शुभ मुहूर्त है, जबकि देव दीपावली पूजा का मुहूर्त शाम 05 बजकर 10 मिनट से लेकर रात 07 बजकर 47 मिनट तक है. कार्तिक पूर्णिमा के दिन लक्ष्मी पूजन करना भी शुभ माना जाता है, जिसका शुभ मुहूर्त 15 नवंबर को रात 11 बजकर 39 मिनट से लेकर अगले दिन 16 नवंबर को सुबह 12 बजकर 33 मिनट तक है. 15 नवंबर को शाम 4 बजकर 5 मिनट पर चंद्रोदय होगा.