
आज के समय में स्मार्टफोन केवल कॉल करने या इंटरनेट चलाने तक सीमित नहीं रह गए हैं, बल्कि ये हमारी जिंदगी का अहम हिस्सा बन चुके हैं। यही वजह है कि कंपनियां अपने फोन्स में लगातार नए और एडवांस फीचर्स शामिल कर रही हैं। अब तो ऐसे स्मार्टफोन्स भी आने लगे हैं जो पानी में भी खराब नहीं होते। हालांकि, हर फोन ऐसा नहीं होता और जरूरी नहीं कि हर पानी से बचाने वाली टेक्नोलॉजी एक जैसी हो।
अगर आप नया स्मार्टफोन खरीदने का सोच रहे हैं, तो आपको यह समझना बेहद जरूरी है कि वॉटरप्रूफ और वॉटर रेसिस्टेंट में क्या अंतर होता है। अक्सर लोग इन दोनों शब्दों को एक जैसा मान लेते हैं, जबकि इनका मतलब अलग होता है।
वॉटर रेसिस्टेंट स्मार्टफोन्स को इस तरह डिजाइन किया जाता है कि वे हल्की बारिश या पानी की छींटों से कुछ हद तक सुरक्षित रहें। इनमें एक खास कोटिंग होती है जो थोड़ी नमी को अंदर जाने से रोकती है। लेकिन अगर इस तरह के फोन को पूरी तरह या लंबे समय तक पानी में डुबो दिया जाए, तो ये खराब हो सकते हैं।
दूसरी तरफ, वॉटरप्रूफ स्मार्टफोन ऐसे होते हैं जिन्हें इस तरह से बनाया जाता है कि पानी अंदर न जा सके, चाहे वह फोन कितनी भी देर पानी में रहे। इनमें खास सीलिंग और मजबूत मटेरियल का इस्तेमाल किया जाता है। आमतौर पर IP68 या IP69 रेटिंग वाले स्मार्टफोन्स को वॉटरप्रूफ माना जाता है, जो तय गहराई और समय तक पानी में डूबे रहने के बाद भी सही से काम करते हैं।
IP रेटिंग यह बताती है कि किसी डिवाइस को पानी और धूल से कितनी सुरक्षा मिलती है।
- IPX4 से IPX6 तक की रेटिंग वाले फोन्स हल्की बारिश और छींटों के लिए ठीक होते हैं।
- जबकि IPX7 से IPX9K तक की रेटिंग वाले फोन तैराकी या मूसलधार बारिश जैसी स्थितियों में भी सुरक्षित रहते हैं।
अगर आपका फोन केवल रोजमर्रा की हल्की बारिश या नमी में इस्तेमाल होता है, तो वॉटर रेसिस्टेंट फोन पर्याप्त हो सकता है। लेकिन अगर आप ट्रेवलिंग करते हैं, स्वीमिंग पसंद करते हैं या बारिश में भी निश्चिंत होकर फोन इस्तेमाल करना चाहते हैं, तो वॉटरप्रूफ फोन लेना एक बेहतर विकल्प होगा।
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