
होली का त्योहार एक ऐसा मौका होता है जब रंगों के साथ-साथ स्वाद और मिठास का भी अपना विशेष महत्व होता है। इस दिन हर घर में खुशियों की बौछार होती है, और स्वादिष्ट पकवानों की महक हर जगह फैलती है। महिलाएं जहां स्वादिष्ट स्नैक्स और मिठाइयों की तैयारी में व्यस्त रहती हैं, वहीं घर के पुरुष खोया, मेवे और अन्य सामग्री जुटाने के लिए मंडियों के चक्कर लगाते हैं। और जब बात होली के पकवानों की हो, तो गुजिया का नाम सबसे पहले आता है। इस त्यौहार के दौरान गुजिया के बिना होली का मजा अधूरा सा लगता है। ठंडाई, आलू के पापड़ और तरह-तरह के स्नैक्स के साथ गुजिया की मिठास होली का सबसे खास हिस्सा बन जाती है।
हालांकि, एक सवाल जो हर बार होली के समय उठता है, वह है कि “गुजिया और गुझिया में क्या फर्क है?” यदि यह सवाल आपके मन में भी उठता है, तो अब चिंता छोड़िए, क्योंकि आज हम इस मीठे राज से पर्दा उठाने जा रहे हैं।
नाम का ट्विस्ट : बस उच्चारण का खेल
गुजिया और गुझिया के बीच का सबसे पहला और बड़ा अंतर उनके नाम में छिपा है। उत्तर भारत के ज्यादातर हिस्सों में इसे “गुजिया” कहा जाता है, वहीं कुछ इलाकों में इसे “गुझिया” के नाम से जाना जाता है। हालांकि, यह नाम का हल्का-सा फर्क केवल उच्चारण का मामला है, जिसका स्वाद पर कोई असर नहीं पड़ता। चाहे आप इसे गुजिया कहें या गुझिया, दोनों का स्वाद बिल्कुल समान होता है।
क्षेत्रीय रंग और स्वाद का तड़का
गुजिया और गुझिया के नाम का फर्क उनकी भौगोलिक पहचान से जुड़ा हुआ है। यह फर्क खासकर विभिन्न राज्यों के अनुसार पाया जाता है। राजस्थान, मध्य प्रदेश, दिल्ली और हरियाणा जैसे राज्यों में इसे गुजिया कहा जाता है, जबकि उत्तर प्रदेश, बिहार और झारखंड में इसे गुझिया कहा जाता है। हालांकि, बनाने का तरीका इन दोनों जगहों पर लगभग समान ही होता है, फिर भी हर क्षेत्र में उस राज्य के विशेष स्वाद का तड़का मिलता है। यही कारण है कि हर राज्य की गुजिया-गुझिया का स्वाद थोड़ा अलग हो सकता है।
बनाने के तरीके में हल्का-सा ट्विस्ट
गुजिया और गुझिया दोनों ही मैदे की लोई से बनाई जाती हैं और इनकी फिलिंग में खोया, सूखे मेवे, नारियल और चीनी का इस्तेमाल किया जाता है। लेकिन, इनकी बनाने की विधि में थोड़ी-बहुत भिन्नता होती है। कुछ जगहों पर गुझिया को अधिक कुरकुरा बनाने के लिए उसकी सतह पर चाशनी की एक पतली परत चढ़ाई जाती है, जिससे इसका स्वाद और खस्ता हो जाता है। वहीं, गुजिया को सामान्य रूप से हल्का फ्राई किया जाता है, जिससे उसकी प्राकृतिक मिठास बनी रहती है और वह अधिक नरम होता है।
आकार और बनावट में अंतर
गुजिया और गुझिया के आकार और बनावट में भी थोड़ा फर्क देखने को मिलता है। गुजिया का आकार हल्के घुमावदार किनारों वाला होता है, जो इसे एक सुंदर लुक देता है। यह आकार में थोड़ा बड़ा हो सकता है और इसे आमतौर पर गहरे तलने की बजाय हल्का सा फ्राई किया जाता है ताकि इसका आकार और बनावट सॉफ्ट बनी रहे।
वहीं, गुझिया का आकार थोड़ा छोटा और मोटा हो सकता है, और इसे कुछ जगहों पर डीप फ्राई किया जाता है ताकि यह अधिक खस्ता और क्रिस्पी बने। यह आकार में थोड़ा संकुचित होता है, और इसकी सतह पर चाशनी की परत चढ़ाने से वह और भी खस्ता हो जाती है।
स्वाद और फिलिंग का खेल
अब बात करते हैं इन दोनों के स्वाद की, जो इनकी पहचान का सबसे अहम हिस्सा होता है। गुजिया की फिलिंग में आमतौर पर खोया, सूखे मेवे (जैसे बादाम, काजू, पिस्ता) और नारियल डाला जाता है, जिससे इसका स्वाद बहुत रिच और मीठा होता है। इसकी बनावट भी नरम और हल्की होती है, जो खाने में एक समृद्ध अनुभव देती है।
इसके विपरीत, गुझिया की फिलिंग में खोया के साथ सूजी या नारियल मिलाया जाता है, जिससे इसका स्वाद हल्का और टेक्सचर कुरकुरा होता है। कुछ जगहों पर इसे अधिक मीठा बनाने के लिए चीनी की मात्रा को बढ़ाया जाता है, जबकि अन्य जगहों पर यह थोड़ा कम मीठा और हल्का होता है। इस प्रकार, एक में रिचनेस का मजा होता है, तो दूसरी में हल्केपन की मिठास होती है, जो दोनों का स्वाद अलग-अलग अनुभव प्रदान करती है।
आखिरकार, गुजिया या गुझिया?
तो, अब आपको पता चल ही गया होगा कि गुजिया और गुझिया में कोई खास अंतर नहीं है, सिवाय इसके कि दोनों के नाम का उच्चारण अलग-अलग है। उनका स्वाद, आकार, बनावट और क्षेत्रीय विशेषताएँ थोड़ा अलग हो सकती हैं, लेकिन अंत में यह दोनों ही मिठाइयाँ होली के इस रंगीन त्योहार का अभिन्न हिस्सा हैं।
हर जगह के लोग इस मिठाई को अपने विशेष तरीके से तैयार करते हैं, और यह उस राज्य या क्षेत्र की परंपरा और संस्कृति को दर्शाती है। तो इस होली, चाहे आप इसे गुजिया कहें या गुझिया, इसका स्वाद हर जगह एक जैसा ही लाजवाब होगा और त्योहार का आनंद दोगुना कर देगा!