
भारतीय सेना को दुनिया की चौथी सबसे ताकतवर सेना माना जाता है। ग्लोबल फायरपावर इंडेक्स के अनुसार, भारत का स्कोर 0.1023 है, जो इसकी ताकत को दर्शाता है। भारतीय सेना अपनी सख्त अनुशासन व्यवस्था के लिए जानी जाती है। यहां जवानों से उम्मीद की जाती है कि वे हर हाल में नियमों का पालन करेंगे।
अब भारतीय सेना में भर्ती की प्रक्रिया बदल गई है। ऑफिसर रैंक से नीचे के जवान अब अग्निपथ स्कीम के तहत भर्ती किए जाते हैं। इस योजना में आने वाले युवाओं को अनुशासन, कड़ी ट्रेनिंग और सेवा की भावना के साथ काम करना होता है।
लेकिन कई बार कुछ जवान ऐसे होते हैं, जो इस अनुशासन को निभा नहीं पाते और भर्ती के बाद भाग जाते हैं। ऐसे मामलों में सेना की ओर से सख्त कदम उठाए जाते हैं।
सेना से भागना: क्या है कानून?
अगर कोई जवान बिना अनुमति के ड्यूटी छोड़कर भाग जाता है, तो इसे सेना की भाषा में Desertion यानी “पलायन” कहा जाता है। यह एक गंभीर अपराध है और इसके खिलाफ भारतीय सेना अधिनियम 1950 की धारा 38 के तहत कार्रवाई की जाती है।
इस कानून के तहत:
- शांति काल में भागने पर – अधिकतम 2 साल की जेल या जुर्माना लगाया जा सकता है।
- युद्ध के दौरान भागने पर – इसे बेहद गंभीर माना जाता है और सजा आजीवन कारावास तक हो सकती है।
हालांकि, अगर जवान के भागने के पीछे कोई वैध कारण हो – जैसे पारिवारिक आपात स्थिति, मानसिक या शारीरिक बीमारी – तो इन बातों की जांच की जाती है, और सजा से छूट मिल सकती है।
क्या होता है कोर्ट मार्शल?
अगर कोई जवान अपनी मर्जी से ड्यूटी छोड़ देता है और फिर वापस लौटता है, तो उसका कोर्ट मार्शल हो सकता है। यह सेना की अपनी अदालत होती है, जहां अनुशासन तोड़ने पर सुनवाई होती है।
कोर्ट मार्शल में निम्न सजा दी जा सकती है:
- जेल की सजा
- वेतन और भत्तों में कटौती
- नौकरी से बर्खास्तगी (Dismissal)
- भविष्य में किसी भी सरकारी सेवा से ब्लैकलिस्ट किया जा सकता है















