
भोपाल: उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ का कहना है कि भारत जैसे लोकतंत्र में किसी भी तरह के एग्जीक्यूटिव अपॉइंटमेंट में देश के चीफ जस्टिस को शामिल नहीं किया जाना चाहिए। उनका यह बयान उस वक्त आया है, जब भारत में अगले मुख्य चुनाव आयुक्त (CEC) के चयन के लिए 17 फरवरी को बैठक होने वाली है। इस बैठक से पहले उपराष्ट्रपति ने भोपाल स्थित नेशनल ज्यूडिशियल एकेडमी में एक कार्यक्रम के दौरान यह टिप्पणी की।
वर्तमान में मुख्य चुनाव आयुक्त के चयन में चीफ जस्टिस को शामिल नहीं किया जाता। पहले यह व्यवस्था थी कि इस चयन के लिए बनने वाले तीन सदस्यीय पैनल में चीफ जस्टिस, प्रधानमंत्री और विपक्ष के नेता होते थे, लेकिन 2023 में नए कानून के बाद चीफ जस्टिस को इस पैनल से बाहर कर दिया गया था।
उपराष्ट्रपति धनखड़ ने कहा कि भारत जैसे लोकतंत्र में किसी भी एग्जीक्यूटिव अपॉइंटमेंट में चीफ जस्टिस का हिस्सा होना असंगत है। उन्होंने सीबीआई डायरेक्टर की नियुक्ति का उदाहरण देते हुए कहा कि क्या किसी लोकतंत्र में चीफ जस्टिस को सीबीआई डायरेक्टर के चयन में शामिल किया जा सकता है? क्या इसका कोई कानूनी आधार है?
धनखड़ ने यह भी कहा, “यह व्यवस्था पहले इसलिए बनी थी क्योंकि पूर्व कार्यपालिका ने न्यायिक फैसलों के आगे घुटने टेक दिए थे, लेकिन अब यह मुद्दा पुनर्विचार के दौर में है। यह व्यवस्था लोकतांत्रिक सिद्धांतों से मेल नहीं खाती।” उन्होंने स्पष्ट किया कि भारत के मुख्य न्यायाधीश को किसी भी एग्जीक्यूटिव अपॉइंटमेंट में शामिल करना उचित नहीं है।
इस बीच, मुख्य चुनाव आयुक्त राजीव कुमार 18 फरवरी को रिटायर हो रहे हैं, और इससे एक दिन पहले 17 फरवरी को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, राहुल गांधी और कानून मंत्री अर्जुन मेघवाल की तीन सदस्यीय पैनल की बैठक होगी, जिसमें नए मुख्य चुनाव आयुक्त के नाम पर चर्चा होगी। इसी बीच, इस मामले में सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका पर सुनवाई भी होनी है। याचिकाकर्ता का कहना है कि इस प्रकार की नियुक्ति में तीन सदस्यीय पैनल में चीफ जस्टिस को शामिल किया जाना चाहिए।Attach













