पानी निगल रहा आपके फोन का डेटा… वैज्ञानिकों का दावा डिजिटल युग में जल्दी पड़ेगा सूखा!

ब्रिटेन इन दिनों भीषण सूखे की मार झेल रहा है, और हालात इतने गंभीर हो चुके हैं कि कई क्षेत्रों में आधिकारिक तौर पर सूखे की घोषणा कर दी गई है। ऐसे में पर्यावरण अधिकारियों ने एक अनोखी और चौंकाने वाली अपील की है — लोग अपने मोबाइल और कंप्यूटर से गैरज़रूरी डेटा डिलीट करें।

सुनने में थोड़ा अजीब लग सकता है, लेकिन इसके पीछे की वजह बेहद गंभीर और वैज्ञानिक है।

डेटा डिलीट करने और पानी बचाने का क्या है कनेक्शन?

ब्रिटेन की एनवायरनमेंट एजेंसी ने बताया है कि डेटा सेंटरों को ठंडा रखने के लिए भारी मात्रा में पानी खर्च होता है।

  • जब हम ईमेल, फोटो, वीडियो और फाइलें ऑनलाइन स्टोर करते हैं, तो उन्हें होस्ट करने वाले डेटा सेंटर लगातार सर्वर को ठंडा बनाए रखने के लिए हज़ारों लीटर पानी का इस्तेमाल करते हैं।
  • पुराने कूलिंग सिस्टम वाले एक छोटे डेटा सेंटर में साल भर में 2.5 करोड़ लीटर से ज्यादा पानी खपत हो सकती है।
  • सिर्फ ब्रिटेन ही नहीं, दुनिया भर में असर

उदाहरण के तौर पर, 2021 में अमेरिका के ओरेगन में गूगल के एक डेटा सेंटर ने 355 मिलियन गैलन पानी इस्तेमाल किया था — जिससे लगभग 538 ओलंपिक साइज के स्विमिंग पूल भरे जा सकते हैं।

ब्रिटेन में कहां-कहां सूखा पड़ा है?

अब तक यॉर्कशायर, कंब्रिया, लंकाशायर, मर्सीसाइड, मिडलैंड्स और ग्रेटर मैनचेस्टर जैसे कई क्षेत्रों में सूखे की घोषणा हो चुकी है।

  • आमतौर पर जलाशयों में इस मौसम तक 80% से अधिक पानी रहता है, लेकिन अब ये गिरकर 67.7% तक पहुंच गया है।

पर्यावरण एजेंसी की अपील क्या कहती है?

ब्रिटेन की वाटर डायरेक्टर हेलेन वेकहैम का कहना है:

“हम सभी से अनुरोध करते हैं कि घर हो या डिजिटल दुनिया, हर जगह पानी बचाने के लिए छोटे-छोटे कदम उठाएं। ईमेल हटाना, फोटो डिलीट करना भी अब ज़रूरी है।”

पानी बचाने के आसान उपाय जो हर कोई अपना सकता है:

  • बाथरूम की लीक तुरंत ठीक कराएं
  • नहाने का समय कम करें
  • बरसात का पानी इकट्ठा करें
  • किचन का बचा पानी पौधों में इस्तेमाल करें
  • मोबाइल और लैपटॉप से पुराने, बेकार ईमेल, फोटो और वीडियो हटाएं

डिजिटल आदतों का पर्यावरण पर असर

डेटा सेंटर सिर्फ पानी ही नहीं, बल्कि भारी मात्रा में बिजली भी खपत करते हैं — और बिजली उत्पादन में भी पानी का इस्तेमाल होता है। AI, स्ट्रीमिंग और क्लाउड स्टोरेज के बढ़ते इस्तेमाल से यह समस्या और गंभीर होती जा रही है।

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