
लखनऊ: उत्तर प्रदेश में विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) की प्रक्रिया शुरू हो चुकी है। चुनाव आयोग ने साफ कर दिया है कि मतदाता बनने के लिए केवल आधार कार्ड पर्याप्त नहीं होगा। यानी अगर किसी व्यक्ति का नाम वर्ष 2003 की मतदाता सूची में शामिल नहीं है, तो उसे नाम जुड़वाने के लिए आधार के साथ कोई अन्य मान्य दस्तावेज भी देना होगा।
आयोग का स्पष्ट निर्देश – आधार नागरिकता या निवास का प्रमाण नहीं
चुनाव आयोग ने सभी जिलाधिकारियों को इस संबंध में मोबाइल संदेश भेजकर निर्देशित किया है। आयोग ने संविधान के अनुच्छेद 326 का हवाला देते हुए कहा कि आधार कार्ड किसी व्यक्ति को मतदाता बनने के लिए योग्य नहीं बनाता।
वीडियो संदेश और लिखित निर्देश में आयोग ने यह भी स्पष्ट किया है कि आधार कार्ड न तो जन्मतिथि का प्रमाण है, न नागरिकता का, और न ही निवास का प्रमाण। सुप्रीम कोर्ट ने भी अपने आदेशों में यही कहा है कि आधार एक्ट की धारा 9 के तहत आधार इन प्रमाणों के लिए वैध दस्तावेज नहीं है।
मतदाता सूची में नाम जोड़ने के लिए जरूरी होंगे अन्य दस्तावेज
आयोग के मुताबिक, मतदाता सूची के विशेष पुनरीक्षण के दौरान केवल आधार कार्ड के आधार पर नाम शामिल नहीं किया जाएगा।
इसके लिए कुल 13 मान्य दस्तावेजों की सूची जारी की गई है। इनमें से आधार के अलावा किसी एक और दस्तावेज को प्रस्तुत करना आवश्यक होगा।
अगर किसी व्यक्ति के पास बाकी 12 दस्तावेजों में से कोई भी नहीं है, तो वह ईआरओ (निर्वाचक रजिस्ट्रीकरण अधिकारी) के समक्ष अन्य प्रमाण प्रस्तुत कर सकता है, जिससे यह साबित हो कि वह भारतीय नागरिक है, उसकी आयु 18 वर्ष या उससे अधिक है या वह संबंधित क्षेत्र का स्थायी निवासी है।
हालांकि, अंतिम निर्णय ईआरओ के विवेक पर निर्भर करेगा। अगर वह प्रस्तुत दस्तावेजों से संतुष्ट नहीं हुआ, तो उस व्यक्ति का नाम अंतिम मतदाता सूची में शामिल नहीं किया जाएगा।
13 मान्य दस्तावेजों की सूची
सुनवाई के दौरान नागरिक को निम्नलिखित 13 दस्तावेजों में से कोई एक प्रस्तुत करना होगा –
केंद्र या राज्य सरकार अथवा सार्वजनिक उपक्रम द्वारा जारी पहचान पत्र या पेंशन भुगतान आदेश।
1 जुलाई 1987 से पहले सरकार या सार्वजनिक संस्थानों द्वारा जारी कोई पहचान पत्र या अभिलेख।
सक्षम प्राधिकारी द्वारा जारी जन्म प्रमाणपत्र।
पासपोर्ट।
मान्यता प्राप्त बोर्ड या विश्वविद्यालय का शैक्षणिक प्रमाणपत्र।
राज्य प्राधिकारी द्वारा जारी स्थायी निवास प्रमाणपत्र।
वन अधिकार प्रमाणपत्र।
सक्षम प्राधिकारी द्वारा जारी जाति प्रमाणपत्र (ओबीसी/एससी/एसटी)।
राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (जहां लागू हो)।
राज्य या स्थानीय प्राधिकरण द्वारा तैयार परिवार रजिस्टर।
सरकार द्वारा जारी भूमि या मकान आवंटन प्रमाणपत्र।
आयोग के 9 सितंबर 2025 के निर्देशों के अनुसार आधार संबंधी दस्तावेज।
बिहार के संदर्भ में 1 जुलाई 2025 की एसआईआर मतदाता सूची।
आयोग का उद्देश्य – मतदाता सूची की शुद्धता सुनिश्चित करना
चुनाव आयोग का कहना है कि यह प्रक्रिया मतदाता सूची को अधिक सटीक और पारदर्शी बनाने के लिए की जा रही है। साथ ही, डुप्लिकेट और फर्जी नामों को हटाने तथा योग्य नागरिकों को मताधिकार दिलाने के प्रयासों का हिस्सा है।










