
उत्तराखंड के बहुचर्चित अंकिता भंडारी हत्याकांड में आखिरकार न्याय की जीत हुई है। पौड़ी गढ़वाल की अदालत ने इस जघन्य अपराध के तीनों दोषियों — पुलकित आर्य, सौरभ भास्कर और अंकित गुप्ता — को आजीवन कारावास की सजा सुनाई है। यह फैसला अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश की अदालत ने सोमवार को सुनाया, जिसे पूरे देश ने बड़ी उम्मीदों से देखा।
सुरक्षा के कड़े इंतजाम, लोगों की निगाहें फैसले पर टिकीं
फैसले के दौरान कोर्ट परिसर में सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए गए थे। आसपास का 200 मीटर क्षेत्र सील कर दिया गया था और सिर्फ अधिवक्ता, केस से जुड़े पक्षकार और जरूरी कर्मचारियों को ही भीतर जाने की अनुमति दी गई थी। इस बहुप्रतीक्षित सुनवाई को लेकर स्थानीय ही नहीं, पूरे देश में गहरी दिलचस्पी थी।
क्या था पूरा मामला?
2022 में हुई थी अंकिता की हत्या
यह मामला सितंबर 2022 का है, जब 19 वर्षीय अंकिता भंडारी, ऋषिकेश के निकट वंतारा रिजॉर्ट में बतौर रिसेप्शनिस्ट काम कर रही थी। आरोप है कि रिजॉर्ट के मालिक पुलकित आर्य ने अपने दो कर्मचारियों के साथ मिलकर उसे चीला नहर में धक्का देकर मार डाला था।
जांच में सामने आया कि अंकिता से एक वीआईपी गेस्ट को ‘एक्स्ट्रा सर्विस’ देने के लिए दबाव डाला जा रहा था, जिसे उसने नकार दिया। इसके बाद आरोपियों ने मिलकर उसकी हत्या कर दी और शव को नहर में फेंक दिया।
पुलकित आर्य और साथियों पर लगे थे गंभीर आरोप
मुख्य आरोपी पुलकित आर्य, भाजपा के एक पूर्व नेता का बेटा है। उसके खिलाफ IPC की धारा 302 (हत्या), 201 (सबूत मिटाना), 354A (यौन उत्पीड़न) और अनैतिक देह व्यापार निवारण अधिनियम के तहत केस दर्ज हुआ था। इस हाई-प्रोफाइल केस की जांच के लिए विशेष जांच दल (SIT) गठित की गई थी, जिसने 500 से ज्यादा पन्नों की चार्जशीट दाखिल की। इसमें 97 गवाह दर्ज किए गए, जिनमें से 47 को अदालत में पेश किया गया।
अंकिता की गुमशुदगी से हुआ खुलासा
अंकिता 18 सितंबर 2022 को अचानक लापता हो गई थी। पांच दिन बाद, 24 सितंबर को चिल्ला नहर से उसका शव बरामद हुआ। शुरुआत में रिजॉर्ट मालिक ने खुद ही उसकी गुमशुदगी की रिपोर्ट दर्ज कराई थी, लेकिन जांच में सामने आया कि वही हत्या की साजिश में शामिल था।
न्याय की दिशा में एक ठोस कदम
यह मामला महिलाओं की सुरक्षा, सम्मान और कार्यस्थल पर गरिमा को लेकर गंभीर सवाल खड़े करता है। अदालत का यह फैसला केवल एक बेटी को न्याय देने का नहीं, बल्कि पूरे समाज को यह संदेश देने का काम करता है कि ऐसे अपराधों के लिए कोई जगह नहीं है।