
New Delhi : उपराष्ट्रपति सी.पी. राधाकृष्णन ने गुरुवार को कहा कि पंडित मदन मोहन मालवीय भारत की प्राचीन सांस्कृतिक परंपराओं और आधुनिक लोकतांत्रिक आकांक्षाओं के बीच सेतु थे।
उपराष्ट्रपति यहां पंडित मदन मोहन मालवीय के संकलित साहित्य के अंतिम खंड ‘महामना वाङ्मय’ का लोकार्पण करने के बाद कार्यक्रम को संबोधित कर रहे थे। उपराष्ट्रपति ने पंडित मदन मोहन मालवीय को महान राष्ट्रवादी, पत्रकार, समाज सुधारक, विधिवेत्ता, राजनेता, शिक्षाविद् और प्राचीन भारतीय संस्कृति के विशिष्ट विद्वान के रूप में याद किया। उन्होंने कहा कि मालवीय जी का दृढ़ विश्वास था कि भारत का भविष्य अतीत को त्यागने में नहीं, बल्कि उसे पुनर्जीवित करने में निहित है।
उपराष्ट्रपति ने कहा कि विज्ञान और प्रौद्योगिकी शिक्षा के प्रति महामना मालवीय की प्रतिबद्धता उनकी इस क्षमता को दर्शाती है कि वे प्राचीन और आधुनिक सभ्यताओं के श्रेष्ठ तत्वों का समन्वय कर सकते थे। उन्होंने शिक्षा को औपनिवेशिक शासन के दौरान राष्ट्रीय जागरण का सबसे सशक्त माध्यम माना, जिसका जीवंत उदाहरण काशी हिंदू विश्वविद्यालय है, जो आधुनिक शिक्षा और भारतीय संस्कृति के समन्वय की उनकी सोच का प्रतीक है।
राधाकृष्णन ने कहा कि महामना मालवीय का आत्मनिर्भर, सशक्त और प्रबुद्ध भारत का स्वप्न आज ‘आत्मनिर्भर भारत’, ‘मेक इन इंडिया’ और 2047 तक ‘विकसित भारत’ जैसे समकालीन अभियानों में परिलक्षित होता है, जिन्हें प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी आगे बढ़ा रहे हैं। उन्होंने कहा कि मूल्य आधारित, समावेशी और कौशल उन्मुख शिक्षा पर मालवीय जी का जोर राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 में स्पष्ट रूप से दिखाई देता है।
उपराष्ट्रपति ने ‘महामना वाङ्मय’ को केवल लेखन का संकलन नहीं, बल्कि भारत के स्वतंत्रता संग्राम की बौद्धिक डीएनए और सांस्कृतिक पुनर्जागरण की रूपरेखा बताया। उन्होंने महामना मालवीय मिशन और सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय के प्रकाशन प्रभाग को इस महत्वपूर्ण कार्य के लिए बधाई दी और विश्वविद्यालयों, विद्वानों व युवाओं से इन ग्रंथों के अध्ययन का आह्वान किया।
‘महामना वाङ्मय’ की यह दूसरी और अंतिम श्रृंखला 12 खंडों में लगभग 3,500 पृष्ठों में पंडित मदन मोहन मालवीय के लेखन और भाषणों का समग्र संकलन है। कार्यक्रम का आयोजन महामना मालवीय मिशन द्वारा किया गया, जबकि पुस्तकों का प्रकाशन सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय के प्रकाशन प्रभाग ने किया है। संकलित रचनाओं की पहली श्रृंखला का विमोचन प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने वर्ष 2023 में किया था।
इस अवसर पर केंद्रीय मंत्री अर्जुन राम मेघवाल, सांसद अनुराग सिंह ठाकुर, इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केंद्र के अध्यक्ष रामबहादुर राय, महामना मालवीय मिशन के अध्यक्ष हरि शंकर सिंह तथा प्रकाशन प्रभाग के प्रधान महानिदेशक भूपेंद्र कैन्थोला सहित अनेक गणमान्य व्यक्ति उपस्थित रहे।
यह भी पढ़े : खिलाड़ी लगातार तोड़ रहे रिकॉर्ड, वैश्विक खेल मानचित्र पर देश को दिला रहे पहचानः PM मोदी












