
- प्रदोष काल में अमावस्या का मिलन दीपावली मनाने के लिए शास्त्र सम्मत
Varanasi : इस वर्ष दीपावली 2025 किस दिन पड़ेगी? इस पर छाये संशय को काशी विद्वत परिषद ने दूर कर दिया है। काशी विद्वत परिषद के अनुसार दीपावली का पर्व इस बार 20 अक्टूबर को ही मनेगा। काशी विद्वत परिषद के धर्मशास्त्र और ज्योतिष प्रकोष्ठ ने शनिवार देर शाम ऑनलाइन बैठक कर यह निर्णय किया।
परिषद के अनुसार सनातन धर्म की व्रत पर्व आदि के निर्धारण संबंधी व्यवस्था में गणित द्वारा प्राप्त तिथि, ग्रह, नक्षत्र आदि के मानों के आधार पर धर्मशास्त्रों में वर्णित नियमानुसार किसी भी व्रत पर्व आदि का निर्धारण किया जाता है। परंतुु यदा-कदा गणितीय मानों की भिन्नता तथा धर्मशास्त्रीय किसी एक भाग, मत का ही अनुसरण करते हुए हम व्रत पर्व का निर्धारण कर देते हैं जिससे व्रत पर्व अलग-अलग तिथियों में दिखने लगता है। इतना ही नहीं, कभी-कभी तो गणितीय मानों में समानता तथा धर्मशास्त्रीय वचनों की उपलब्धता के बाद भी कुछ अस्पष्ट कारणों से व्रत पर्वों की तिथियों में अंतर दिखता है। ऐसी स्थिति वर्ष 2024 में भी बनी थी। जिसका शास्त्र सम्मत निर्णय परिषद ने लिया था। इस बार भी कुछ ऐसी ही स्थिति है।
दीपावली से संबंधी विस्तृत विमर्श के बाद शास्त्र के आलोक में 20 अक्टूबर को दिपावली पर्व बनाने का निर्णय लिया गया। इसका कारण है पूर्ण प्रदोष काल व्यापिनी तिथि 20 अक्टूबर को ही है। 21 अक्टूबर को तीन प्रहर से अधिक अमावस्या और साढ़े तीन प्रहर से अधिक वृद्धि गामिनी प्रतिपदा के होते हुए भी उक्त व्रत के पारण का काल प्राप्त नहीं हो रहा। जो कि दीपावली प्रयुक्त लक्ष्मी पूजन का एक आवश्यक अंग है। इसलिए विभिन्न धर्म शास्त्रीय सिद्धांतों का अनुशीलन करते हुए सर्वसम्मति से पूरे देश में 20 अक्टूबर को ही दीपावली पर्व मनाने का निर्णय दिया गया।
बैठक में शामिल प्रो. विनय पांडेय संबंधित सभी विषयों सहित शास्त्र के सभी पक्षों को रखा। इस बैठक में प्रो. रामनारायण द्विवेदी, प्रो. वशिष्ठ त्रिपाठी,
प्रो. रामकिशोर त्रिपाठी, प्रो. भगवत शरण शुक्ल, प्रो. सदाशिव कुमार द्विवेदी आदि ने भागीदारी की।
बताते चलें कि कार्तिक अमावस्या तिथि 20 अक्टूबर को दिन में 2.56 बजे प्रारंभ होगी और 21 अक्टूबर को शाम 4.26 बजे तक रहेगी। ऐसी स्थिति को लेकर धार्मिक ग्रंथों में भी लिखा है ‘पूर्वत्रैव प्रदोषव्याप्तो लक्ष्मीपूजनादौ पूर्वा’ । दीपावली की तिथि 20 अक्टूबर ही होगी। इस पर्व में प्रदोष काल में दीपदान, लक्ष्मी पूजन आदि करने का आदेश है। अतः 20 अक्टूबर को प्रदोष काल में अमावस्या का मिलन दीपावली मनाने के लिए शास्त्र सम्मत है। प्रदोष और रात्रि व्यापिनि कार्तिक अमावस्या तिथि 20 अक्टूबर को ही प्राप्त होगी।
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