
Vande Mataram Row : जयराम रमेश ने कहा कि नेहरू को निशाना बनाते-निष्कर्ष पर टैगोर का अपमान किया गया। उन्होंने आरोप लगाया कि जो लोग आज इतिहास की बातें कर रहे हैं, वे इतिहासकार नहीं, बल्कि विकृत (टिस्टॉर्शंस) बन गए हैं। रमेश ने वर्ष 1937 से जुड़ी चिट्ठियों और कांग्रेस वर्किंग कमेटी के दस्तावेजों का हवाला देते हुए बताया कि पहले दो खंडों को राष्ट्रीय गीत के रूप में अपनाने का सुझाव स्वयं रवींद्रनाथ टैगोर ने दिया था। उन्होंने कहा कि बीजेपी द्वारा बंकिम चंद्र चट्टोपाध्याय बनाम टैगोर का विवाद खड़ा करना स्वतंत्रता आंदोलन के नायकों का अपमान है। जयराम रमेश ने यह भी सवाल उठाया कि क्या बीजेपी राजेंद्र प्रसाद और सardar पटेल को भी तुष्टिकरण का आरोपी बताएगी।
टीएमसी, CPI और BJD ने भी केंद्र सरकार पर निशाना साधा। टीएमसी सांसद ऋतब्रत बनर्जी ने कहा कि ‘वंदे मातरम’ बंगाल विभाजन के खिलाफ जनआंदोलन का केंद्र था और 1905 में टैगोर ने इसे स्वयं गाया था। उन्होंने सवाल किया कि मैं बंगाली बोल रहा हूं तो क्या मुझे भी बांग्लादेशी कह देंगे? CPI सांसद पी. संतोष ने प्रधानमंत्री पर तंज कसते हुए कहा कि यह बहस स्वस्थ चर्चा का अवसर हो सकती थी, लेकिन पीएम मोदी ने इसे विवादित बनाने की कोशिश की। बीजेडी सांसद ने कहा कि देश में ‘वंदे मातरम’ और ‘जन गण मन’ दोनों को स्वीकार किया जा चुका है, इसलिए इस बहस का कोई औचित्य नहीं है।















