उत्तरकाशी। प्रथम दिवस पर अष्टोत्तरशत श्रीमद्भागवत कथा के मुख्य कथा व्यास डॉ. सुंदर पाराशर ने श्रद्धालुओं को कथा का रसपान कराते हुए कहा कि उत्तरकाशी बाबा विश्वनाथ की नगरी में सुनने का विशेष महत्व है। आप सभी भाग्यशाली हैं कि उत्तर की काशी में निवास करते हैं। उन्होंने कहा कि भगवद प्राप्ति का सरल साधन गुरूदेव की कृपा है।
हनुमान जयंती का वर्णन करने के पश्चात महाराज ने भगवान श्रीकृष्ण की महिमा का वर्णन करते हुए कहा कि वह सच्चिदानंद स्वरूप हैं, इस समस्त विश्व की उत्पत्ति के हेतु हैं। तीनों प्रकार के तापों का विनाश करने वाले हैं, उन समस्त ब्रह्मांडों के एकमात्र ईश्वर परमात्मा श्रीकृष्ण को हम सब नमस्कार करते हैं। कथा सुनने से मन की व्यथा दूर हो जाती है।
आजकल लोग तनावपूर्ण जीवन जी रहे हैं। चिंता चिता से खतरनाक है। निर्जीव शरीर को चिता व जिंदा शरीर को चिंता को जला देती है। इन शब्दों में सिर्फ बिंदु का अंतर है। इसलिए भगवान की भक्ति में डूबकर चिंता से मुक्ति प्राप्त कीजिए। श्रीमद्भागवत कथा ही सबसे सुगम और सरल कल्याण का उपाय है। इस अवसर पर अष्टादश महापुराण समिति के अध्यक्ष हरि सिंह राणा, महामंत्री रामगोपाल पैन्यूली, व्यवस्थापक घनानंद नौटियाल, संयोजक प्रेम सिंह पंवार, कोषाध्यक्ष जीतवर सिंह नेगी, यजमान के रूप में डॉ. एसडी सकलानी, अरविंद कुड़ियाल, डॉ. प्रेम पोखरियाल आदि उपस्थित थे।