
देहरादून : उत्तरकाशी जिले के धराली आपदा में जिला प्रशासन ने 68 लोगों के लापता होने की पुष्टि की है, जिनमें 25 नेपाल मूल के मजदूर शामिल हैं। आपदा के आठवें दिन मंगलवार को बचाव और राहत कार्य जारी रहे, लेकिन संचार सेवाओं के बाधित होने से स्थानीय लोगों को एक-दूसरे से संपर्क करने में परेशानी हुई।
खीर गंगा का जल स्तर बढ़ने से बचाव कार्यों के लिए बनाया गया संपर्क पुल बह गया, जिससे कुछ समय के लिए आवागमन बाधित रहा। लापता लोगों की तलाश के लिए जीपीआर प्रणाली से बनाए गए गड्ढों में पानी भर गया। देहरादून से विशेषज्ञों की टीम भी आपदा क्षेत्र में अध्ययन के लिए नहीं पहुंच सकी।
हर्षिल में भागीरथी नदी में बनी झील भी बड़ी चुनौती बनी हुई है। सिंचाई विभाग और यूजेवीएनएल की टीमें मैन्युअली पानी निकासी का काम कर रही हैं, लेकिन यह कार्य आसान नहीं है। सिंचाई विभाग ने नौ एई, जेई और श्रमिकों की टीम तैनात की है, जबकि यूजेवीएनएल की टीम भी मौके पर पहुंची है। मंगलवार को झील के मुहाने को चौड़ा करने और फंसी लकड़ियों को हटाने का काम शुरू हुआ। विभागाध्यक्ष सुभाष कुमार ने बताया कि चुनौतियां बड़ी हैं, लेकिन पानी निकासी बढ़ाने के लिए प्रयास जारी हैं। टीमों की सुरक्षा के भी इंतजाम किए गए हैं।
एनडीआरएफ की टीम दो बोट के साथ हर्षिल झील में कार्यरत है। धराली-मुखबा के मुख्य झूला पुल की बुनियाद को मजबूत करने का जिम्मा लोक निर्माण विभाग को सौंपा गया है। आर्मी इंजीनियर, एसडीआरएफ और एनडीआरएफ ने पुल का निरीक्षण कर तत्काल मरम्मत की आवश्यकता बताई है। फिलहाल, एक-एक कर सुरक्षित पार करने की सलाह दी गई है।
लोक निर्माण विभाग ने दबराणी से सोनगाड़ और हर्षिल से धराली तक बाधित मार्ग को दो दिनों में सुचारु करने का दावा किया है। राज्य आपातकालीन परिचालन केंद्र के अनुसार, आपदा में एक व्यक्ति की मृत्यु हुई और 68 लोग लापता हैं। सचिव आपदा प्रबंधन विनोद कुमार सुमन ने बताया कि नेपाल के श्रमिकों के नामों की समस्या सुलझने के बाद लापता लोगों की सूची तैयार की गई है।