उत्तराखंड : नकल कानून की साख पर संकट, धामी सरकार का सीबीआई जांच का फैसला

देहरादून : पेपर लीक प्रकरणों के बाद राज्य सरकार ने पहली बार नकल रोकने के लिए इतिहास का सबसे सख्त कानून लागू किया था। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के इस कदम को ऐतिहासिक बताया गया और भाजपा ने इसे निष्पक्ष व पारदर्शी भर्ती परीक्षाओं के लिए बड़ी उपलब्धि माना।

इस नकलरोधी कानून के तहत अब तक 100 से अधिक नकल माफिया जेल भेजे जा चुके हैं। हाल ही में इसी कानून के तहत हाकम सिंह की गिरफ्तारी ने सरकार और पार्टी में उत्साह बढ़ाया। लेकिन परीक्षा के दिन हरिद्वार के एक केंद्र से प्रश्नपत्र के तीन पेज सोशल मीडिया पर वायरल हो गए, जिससे इस कानून की साख पर सवाल खड़े हो गए। मुख्यमंत्री के लिए इसे बचाना एक बड़ी चुनौती बन गई।

शुरुआत में सरकार ने हाईकोर्ट के रिटायर्ड जज की निगरानी में एसआईटी जांच की घोषणा की, लेकिन आंदोलन कर रहे युवाओं ने सेवानिवृत्त न्यायाधीश बी.एस. वर्मा के भाजपा नेताओं से संबंध उजागर कर दिए। इसके बाद सरकार ने अगले ही दिन हाईकोर्ट के रिटायर्ड न्यायमूर्ति यू.सी. ध्यानी की अध्यक्षता में आयोग का गठन किया। अब मामले की गहन पड़ताल के लिए सीबीआई जांच का कठोर निर्णय लिया गया है।

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