
देहरादून। उत्तराखंड स्नातक स्तरीय परीक्षा पेपर लीक प्रकरण की जांच अब सीबीआई ने अपने हाथ में ले ली है। सोमवार को देहरादून शाखा में औपचारिक रूप से केस दर्ज कर जांच प्रक्रिया शुरू कर दी गई। यह वही परीक्षा है जो 21 सितंबर को आयोजित हुई थी, लेकिन परीक्षा शुरू होने के मात्र आधे घंटे बाद ही पेपर सोशल मीडिया पर वायरल हो गया था।
पेपर लीक के बाद राज्यभर में युवाओं ने जोरदार विरोध प्रदर्शन किए थे। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने खुद धरना स्थल पर पहुंचकर युवाओं को आश्वासन दिया था कि इस पूरे मामले की सीबीआई जांच कराई जाएगी।
शुरुआत में पुलिस ने एएसपी जया बलोनी के नेतृत्व में एसआईटी गठित कर जांच शुरू की थी, जबकि सरकार ने मामले की गंभीरता को देखते हुए रिटायर्ड जस्टिस यू.सी. ध्यानी से स्वतंत्र जांच भी करवाई। इसके बाद 11 अक्टूबर को परीक्षा रद्द कर दी गई। अब केंद्र सरकार की मंजूरी और राज्य सरकार की सिफारिश पर सीबीआई ने केस दर्ज कर लिया है।
सीबीआई अब यह जांच करेगी कि पेपर लीक किस स्तर पर हुआ, इसमें कौन-कौन शामिल था और क्या किसी संगठित गिरोह ने इस घटना को अंजाम दिया। माना जा रहा है कि जांच आगे बढ़ने के साथ ही नकल माफिया गैंग के कई सदस्य बेनकाब हो सकते हैं।
सूत्रों के अनुसार, यदि सीबीआई की जांच हाकम सिंह गैंग तक पहुंचती है, तो राज्य की पूर्व परीक्षाओं में भी शामिल कई आरोपी लपेटे में आ सकते हैं। बता दें कि परीक्षा से एक दिन पहले एसटीएफ ने हाकम सिंह और पंकज गौड़ को गिरफ्तार किया था। उन पर युवाओं से लाखों रुपये लेकर परीक्षा पास कराने का आरोप था।
हाकम सिंह पहले भी 2021 के पेपर लीक मामलों में नामजद रहा है। उसके खिलाफ दर्ज गैंगस्टर एक्ट के केस में करोड़ों की संपत्ति पहले ही कुर्क की जा चुकी है।
अब सीबीआई की जांच से उम्मीद है कि राज्य में चल रहे पेपर लीक रैकेट की जड़ें पूरी तरह उजागर होंगी, और दोषियों को सख्त सजा मिलेगी।















