
बस्ती। जिले में इस सीजन यूरिया घोटाला कृषि विभाग व सहकारी समितियों ने किया हे। इन दोनो विभागों की मिलीभगत से धंधेबाजों ने खाद को उड़ा अपनी जेब भर ली। लाखों के खेल में जिम्मेदारों ने भी खूब लाभ लिया मगर किसानों को झेलना पड़ रहा है।
सीजन से पंद्रह दिन पहले ही लक्ष्य से अधिक खाद बंट चुकी है। फिर भी तमाम किसान एक-एक बोरी खाद के लिए जूझ रहे हैं। समितियों पर हंगामा हो रहा है। प्रशासनिक अफसर तक परेशान हैं। बावजूद इसके किसान बिना खाद के मायूस लौट रहे हैं।
खरीफ सीजन आते ही धंधेबाज सक्रिय हो गए। कृषि और सहकारिता दोनों महकमा में इनकी गहरी पैठ कारगर साबित हुई। बताया जा रहा है कि वास्तविक किसान जब तक खाद लेने के लिए तैयार होते तब तक निजी क्षेत्र और समितियों पर यूरिया खाद का सूखा पड़ गया। गनीमत यह कि यूरिया की रैक नियमित रूप से पहुंच रही हैं वरना, किसान कहीं के नहीं रहते।
विभागीय आंकड़े बता रहे हैं कि इस बार जुलाई और अगस्त के लक्ष्य से 2703 एमटी ज्यादा यूरिया खाद की खपत 15 दिन पहले ही हो चुकी है। 45849 एमटी लक्ष्य के सापेक्ष 48552 एमटी खाद का वितरण हो चुका है। जबकि पिछले साल इस सीजन में अगस्त माह के अंत तक 50189 एमटी खाद बांटी गई थी। यदि वितरण में निरंतरता बनी रही तो अभी बचे हुए 15 दिनों में यह आंकड़ा पार होने की संभावना है।
जून तक कृषि विभाग के अधीन निजी क्षेत्र में संचालित 1200 दुकानों को खाद का आवंटन हुआ। अभी तक निजी दुकानों ने 36110 एमटी यूरिया खाद का खपत किया है। जबकि समितियों के माध्यम से 12442 एमटी खाद का वितरण हुआ है। इधर जुलाई में निदेशालय ने आवंटन परिवर्तन कर दिया। अब जिले को आवंटित खाद का तीन चौथाई हिस्सा यूरिया समितियों पर भेजा जा रहा है। जबकि एक चौथाई हिस्सा निजी क्षेत्र की दुकानों पर पहुंच रहा है। वर्तमान में सहकारी समितियों पर 17676 एमटी खाद की उपलब्धता है।
सीजन के शुरूआत में यूरिया खाद के वितरण में धांधली का खूब खेल चला। ज्यों- ज्यों जांच आगे बढ़ रही है इसकी कलई खुलती जा रही है। निजी दुकान और समितियों के पीओएस मशीन से तमाम ऐसे लोगों के नाम सामने आ रहे हैं जिन्हें आवश्यकता से अधिक खाद कई बार में दी गई है। इस तरह के 850 काश्तकार चिह्नित भी हुए हैं। इसमें कुछ ऐसे काश्तकार हैं जिनके नाम पर कम से कम 4 और अधिकतम 13 बार यूरिया खाद आवंटित हुई है। कुछ लघु सीमांत किसानों के नाम 40 से 50 बोरी खाद निर्गत की गई है।
यहीं वजह है कि आम किसानों में खाद की किल्लत गहरा गई है। जानकार बता रहे हैं कि शुरूआती दौर में ही धंधेबाज अपनी सेटिंग बनाकर छद्दम नामों से खाद की निकासी करवा लिए। वितरण में ज्यादातर घपला कप्तानगंज, हर्रैया, परशुरामपुर बेल्ट में पकड़ा जा रहा है। पिछले दिनों यहां नकली लिक्विड यूरिया की दो फैक्टि्रया भी पकड़ी जा चुकी है।
जिला कृषि अधिकारी डॉ. बाबूराम मौर्य के अनुसार अभी और दुकान और समिति पर वितरण संदिग्ध प्रतीत हो रहा है। जिसका खुलासा जल्द किया जाएगा। जांच के दौरान मानक से अधिक खाद वितरण करने वाली अधिकांश दुकानें भी बंद मिल रही है।
समिति एवं निजी दुकानों से कई- कई बार खाद लेने वाले किसान भी चिह्नित किए जा रहे हैं। इसमें दुकान और कई बार खाद लेने वालों की भूमिका संदिग्ध लग रही है। जिसकी जांच की जा रही है। दोषी पाए जाने पर सभी के खिलाफ कार्रवाई होगी।
एआर कोआपरेटिव, आशीष श्रीवास्तव ने बताया कि खाद की ओवररेटिंग किसी भी समिति पर नहीं हो रही है। सभी सचिवों को निर्धारित मूल्य 267 रुपये प्रति बोरी यूरिया बेचने के निर्देश दिए गए हैं। यदि कहीं ओवररेटिंग हो रही है तो किसान उनसे सीधे शिकायत कर सकता है। तत्काल कार्रवाई होगी।












