
उत्तर प्रदेश परिवहन विभाग ने 1 जनवरी 2025 से 10 जून 2025 तक के बीच ड्राइविंग लाइसेंस (DL) से जुड़े आवेदनों के निस्तारण में उल्लेखनीय प्रगति दर्ज की है। इस अवधि में विभाग द्वारा प्रदेशभर में प्राप्त आवेदनों की पेंडेंसी का गहन विश्लेषण किया गया, जिसके आधार पर सामने आया कि विभाग की “पेपरलेस, फेसलेस और कैशलेस” पहल के सकारात्मक परिणाम अब साफ नजर आ रहे हैं।
प्रयागराज और मुजफ्फरनगर ने किया बेहतरीन प्रदर्शन
प्रयागराज आरटीओ में कुल 23,914 आवेदनों में से केवल 33 आवेदन लंबित रहे, जो कुल का मात्र 0.13% है। वहीं, मुजफ्फरनगर में 13,523 आवेदनों में से केवल 20 आवेदन (0.15%) पेंडिंग हैं। यह आंकड़े विभाग की कार्यप्रणाली में आई दक्षता और पारदर्शिता का प्रमाण हैं।
कुछ जिलों में निगरानी तेज
हालांकि शाहजहाँपुर (0.46%) और अमेठी (0.63%) जैसे कुछ जिलों में पेंडेंसी का प्रतिशत अपेक्षाकृत अधिक पाया गया है। इन जिलों में तेजी से सुधार के लिए विशेष निगरानी अभियान शुरू किया गया है।
90% से अधिक जिलों में पेंडेंसी 0.5% से भी कम
राज्य के 90% से अधिक जिलों में लंबित आवेदनों की दर 0.5% से नीचे रही है। यह उपलब्धि परिवहन विभाग की सशक्त निगरानी प्रणाली, कार्य में पारदर्शिता और सोशल मीडिया व अन्य माध्यमों से की गई जन-जागरूकता का प्रतिफल है।
लाइसेंस प्रक्रिया को और भी त्वरित बनाने के निर्देश
परिवहन आयुक्त बी. एन. सिंह ने बताया कि विभाग की सतत निगरानी और प्रयासों के चलते लाइसेंस जारी करने की प्रक्रिया पहले की तुलना में काफी सरल और तेज हो गई है। उन्होंने सभी जिलों को निर्देशित किया है कि लंबित आवेदनों का निस्तारण अधिकतम सात दिनों के भीतर किया जाए। साथ ही जिन जिलों में कार्य की गति अपेक्षित स्तर से पीछे है, वहां के अधिकारियों से अपनी कार्यशैली की समीक्षा कर आवश्यक सुधार लाने का भी आग्रह किया गया है।
सारथी पोर्टल और CSC केंद्र बनेंगे परिवर्तन के वाहक
विभाग को उम्मीद है कि जन सेवा केंद्रों (CSC) और ‘सारथी पोर्टल’ के माध्यम से प्रदेश के सभी जिलों में ड्राइविंग लाइसेंस की आवेदन और स्वीकृति प्रक्रिया में और भी तेजी और पारदर्शिता आएगी। विभाग की ओर से जिलों के प्रदर्शन की नियमित समीक्षा जारी रहेगी, ताकि सुधार की प्रक्रिया सतत बनी रहे।


